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BRICS में शामिल होने की ‘चाहत’, UNGA में तुर्की ने नहीं किया कश्मीर का जिक्र, सकते में पाकिस्तान

नई दिल्ली: तुर्की के प्रधानमंत्री रजब तैयब एर्दोआन ने कई सालों में पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान कश्मीर मुद्दे का जिक्र नहीं किया. यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि तुर्की के राष्ट्रपति पाकिस्तान के साथ अपनी दोस्ती और भारत विरोधी रुख के लिए जाने जाते हैं.

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संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुधवार को अपने वार्षिक भाषण में उन्होंने गाजा युद्ध की कड़ी निंदा की, लेकिन कश्मीर का जिक्र तक नहीं किया. 2019 के बाद यह पहला मौका है जब एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दे से किनारा किया है. इससे पहले उन्होंने 2023, 2022, 2021 और 2020 में संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया था. हालांकि, शाहबाज शरीफ इस बैठक में कश्मीर का मुद्दा भी उठाने वाले हैं.

शाहबाज शरीफ उठा सकते हैं कश्मीर मुद्दा
अपने भाषण में एर्दोआन ने इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू की तुलना हिटलर से की. एर्दोआन ने पाकिस्तान को यह झटका ऐसे समय पर दिया है जब देश के पीएम शाहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर और वहां हो रहे चुनावों का मुद्दा उठाने की पूरी तैयारी में हैं.

पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक शाहबाज शरीफ न्यूयॉर्क पहुंच चुके हैं और जल्द ही अपना भाषण देने वाले हैं. शहबाज शरीफ इस्लामोफोबिया और फिलिस्तीन का मुद्दा भी उठाने वाले हैं. पिछले साल भी पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया था.

उन्होंने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच शांति के लिए कश्मीर का मुद्दा अहम है. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने दुनिया भर के मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाता रहा है, लेकिन उसकी आवाज नहीं सुनी जा रही.अब तुर्की के राष्ट्रपति द्वारा यूएन में कश्मीर का जिक्र न किए जाने से पाकिस्तान सकते में है.

पाकिस्तान के साथ दोस्ती को प्राथमिकता

इससे पहले तुर्की के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के साथ दोस्ती को प्राथमिकता दी थी और महासभा में कई बार कश्मीर मुद्दे को उठाया था. साल 2023 में अपने भाषण के दौरान एर्दोआन ने पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत और सहयोग से कश्मीर में शांति स्थापित होगी और इससे क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि आएगी.

बता दें कि साल 2022 में भी एर्दोआन ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था और कहा था, ‘हमें उम्मीद है कि कश्मीर में न्यायपूर्ण और दीर्घकालिक शांति होगी.’ जबकि वर्ष 2021 में एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अनुसार कश्मीर मुद्दे को हल करने के लिए कहा था.वहीं, 2020 में उन्होंने कश्मीर को ज्वलंत मुद्दा बताया था. तुर्की के राष्ट्रपति ने भारत से अनुच्छेद 370 को खत्म करने के फैसले को वापस लेने की भी मांग की थी.

ब्रिक्स का सदस्य देश बनना चाहता है तुर्की
तुर्की और पाकिस्तान के बीच दोस्ती लगातार बढ़ रही है. सूत्रों के अनुसार तुर्की पाकिस्तान को किलर ड्रोन से लेकर हथियार तक सप्लाई कर रहा है. गौरतलब है कि तुर्की ब्रिक्स का सदस्य देश बनना चाहता है और इसके लिए उसे भारत की मदद की जरूरत होगी. अगर भारत सहमति देने से इनकार करता है तो तुर्की के लिए रास्ता बंद हो जाएगा.

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