खरगोन जिले के बड़वाह में नर्मदा घाट पर भूतड़ी अमावस्या के अवसर पर श्रद्धालुओं ने पितरों की आत्मा की शांति के लिए अति उत्साही अनुष्ठान किए। इस दौरान कुछ श्रद्धालुओं ने अपनी जीभ काटी, जबकि कुछ तलवार पर चलते हुए नर्मदा में लगभग 300 फीट तक पहुंचे।
सुबह से ही घाट पर भारी भीड़ उमड़ी, लोग नर्मदा स्नान और तर्पण के लिए पहुंचे। श्रद्धालुओं ने ढोल-ढमाकों के साथ नाच-गाकर देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने की कामना की। पंडित गिरिजाशंकर अत्रे ने बताया कि जिन पुरुष और महिलाएं देवी-देवताओं के इष्ट हैं, वे अमावस्या पर इस तरह के कठिन अनुष्ठान करते हैं। यह केवल उन पर लागू होता है जिन्हें काली देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने शस्त्र पूजन और तर्पण किया। अमावस्या के दौरान स्नान और पूजा से सूतक समाप्त होता है, जिससे नवरात्रि में पूजा-पाठ की शुरुआत की जा सकती है। कई श्रद्धालु अपनी आस्था प्रकट करने के लिए तलवारों पर चले और कुछ ने अपने शरीर पर भी कठिन अनुष्ठान किए।
टीआई बलराम सिंह राठौर और उनकी टीम सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रही। घाट पर दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं के वाहनों के कारण जाम की स्थिति बनी। इस दौरान घाट पर भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए पुलिस ने कई उपाय किए।
भूतड़ी अमावस्या के मौके पर नर्मदापुरम, हरदा, जबलपुर, डिंडौरी और आसपास के जिलों से लाखों श्रद्धालु स्नान और पूजा के लिए पहुंचे। केवल स्नान ही नहीं, बल्कि कष्ट निवारण और पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा-पाठ और तांत्रिक अनुष्ठान भी आयोजित किए गए।
श्रद्धालुओं के अनुसार यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि इस दिन की गई आस्था और अनुष्ठान से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और पितरों की आत्मा की शांति होती है। यह आयोजन स्थानीय संस्कृति और धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
इस प्रकार बड़वाह में भूतड़ी अमावस्या पर नर्मदा घाट पर श्रद्धालुओं का अति उत्साही और भव्य अनुष्ठान हर साल की तरह इस बार भी लोगों के लिए आकर्षण और आस्था का केंद्र बना रहा।