मैहर : नवरात्रि के पावन अवसर पर मां शारदा धाम में रोजाना लाखों श्रद्धालु दूर-दराज़ से दर्शन करने पहुंच रहे हैं.भीड़ को नियंत्रित करने में प्रशासन व पुलिसकर्मी पूरी मुस्तैदी से डटे हुए हैं, परंतु मंदिर प्रांगण में खादी और खाकी का वीआईपी-वीवीआईपी नज़ारा भक्तों के बीच असमानता का ज्वलंत उदाहरण बन गया है.
जहां आम भक्त घंटों लंबी कतार में खड़े रहकर दर्शन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं सफेद कुर्ताधारी नेताओं, रसूखदारों और अधिकारियों के रिश्तेदारों के लिए चंद मिनटों में स्पेशल दर्शन का ‘प्रोटोकॉल’ तैयार हो जाता है.मंदिर परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे और प्रत्यक्षदर्शी यह गवाही दे रहे हैं कि ‘बराबरी’ के नाम पर हर साल गाया जाने वाला गीत यहां बेमानी हो चुका है.
यह ‘वीआईपी संस्कृति’ अब किसी व्यवस्था का हिस्सा नहीं, बल्कि मंदिरों की आस्था पर लगा कैंसर बन चुकी है.सेवा-भाव से तैनात पुलिस जवान निश्चित रूप से सलाम के हकदार हैं, लेकिन यह भी सच्चाई है कि उनके कंधों पर ही वीआईपी-वीवीआईपी ‘विशेष दर्शन’ का बोझ भी लाद दिया गया है.अगर कोई जिम्मेदार अधिकारी या संस्था हमारे तथ्यों को गलत साबित कर दे और आमजन भी इसे असत्य माने, तो हम खुले मंच से माफी मांगने को तैयार हैं कहे कि बात हमारे मंदिर से जुड़ी है.लेकिन आज का सच यही है कि मां शारदा धाम में आस्था से ऊपर वीआईपी व्यवस्था खड़ी हो चुकी है.