धमतरी: छत्तीसगढ़ के धमतरी स्थित एशिया के इकलौता ऑटोमेटिक सायफन सिस्टम वाले मॉडम सिल्ली बांध के गेट खुल गए हैं. कैचमेंट एरिया में भारी बारिश से मॉडम सिल्ली बांध लबालब हो गया. जलस्तर बढ़ने के कारण 3 स्लूज गेट को खोलना पड़ा, फिर ऑटोमेटिक सायफन गेट खुला. मॉडम सिल्ली का पानी गंगरेल बांध में जाता है, जो राज्य के कई जिलों को पानी देता है.
दरअसल माड़म सिल्ली बांध न केवल धमतरी जिले की जीवनरेखा है, बल्कि यह इंजीनियरिंग का ऐसा अद्भुत नमूना है जो आज भी पूरी तरह कारगर है. इसके प्राकृतिक रूप से संचालित गेट्स इसे एशिया के अनोखे बांधों में शामिल करते हैं. बीते दो दिनों से नगरी इलाके में लगातार बारिश से मॉडम सिल्ली 100 प्रतिशत भर चुका है, लगातार मॉडम सिल्ली में 9 हजार 450 क्यूसेक पानी की आवक बनी हुई है. सायफन और स्लूज मिलाकर कुल 6 हजार 750 पानी छोड़ा जा रहा है. जिसको देखने सैलानियों की भीड़ उमड़ रही है.
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1923 में बना यह बांध अभी भी मजबूती से टिका हुआ
बता दें कि छत्तीसगढ़ के धमतरी का ऑटोमेटिक साइफन सिस्टम वाला ये पूरे एशिया का इकलौता बांध है. मॉडम सिल्ली बांध 1923 में बन कर तैयारी हुआ, बान्ध अभी भी मजबूती से टिका हुआ है. धमतरी जिले में ये बांध सिलियारी नाले पर बनाया गया है. अंग्रेजों ने इस बांध का निर्माण करवाया था. करीब 5.8 टीएमसी के जतभराव वाला मॉडम सिल्ली बांध गंगरेल बांध का सहायक बांध है और रविशंकर सागर बहुउद्देशीय परियोजना का अहम हिस्सा है. आखिर में इसका पानी गंगरेल बांध में मिल जाता है, जिससे आधे छत्तीसगढ़ राज्य में सिंचाई होती है.
खास लेवल पर पहुंचने के बाद ऑटोमेटिक खुलता है बांध के गेट
भिलाई स्टील प्लांट सहित भिलाई शहर, रायपुर और धमतरी शहर को पेयजल देने में भी मदद मिलती है. इस बांध की सबसे बड़ी खासियत इसका ऑटोमेटिक साइफन सिस्टम है, जिसमें कुल 34 गेट लगे हुए हैं, पानी जब एक खास लेवल तक पहुंचता है, तब इसके 4 बेबी साइफन गेट अपने आप खुल जाते है और पानी नहर में जाने लगता है. अगर जल स्तर खतरनाक रूप से बढ़े तब इसके बाकी के 32 गेट भी अपने आप खुलने जैसे ही जल स्तर खतरे के नीचे जाता है, गेट अपने आप बंद भी हो जाते है.
धमतरी में कितने बांध?
छत्तीसगढ़ जल प्रबंधन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, धमतरी जिले में चार बांध है. आंकड़ों की बात करें तो 32.150 टीएमसी वाले गंगरेल बांध में 88 फ़ीसदी पानी है. माडमसिल्ली बांध जिसकी क्षमता 5.538 टीएमसी है यहां पर 99.42 फीसदी पानी भर गया है. दुधावा बांध की क्षमता 10.192 टीएमसी है यहां 64.90 प्रतिशत जलभराव हो गया है. 6.996 टीएमसी वाले सोदूर बांध में 73. 68 फीसदी जलभराव हो गया है.