मौसम विभाग ने शनिवार को सुकमा, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, बलरामपुर, सूरजपुर, कोरिया, मुंगेली सहित 16 जिलों में भारी बारिश का यलो अलर्ट जारी किया है। इन जिलों में गरज-चमक के साथ आंधी चलने और बिजली गिरने की संभावना जताई गई है।
पिछले 24 घंटों में प्रदेश के लगभग सभी हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई है, जबकि एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा भी हुई है। सबसे अधिक 101 मिमी बारिश गरियाबंद जिले के अमरिपदर में दर्ज की गई। मौसम विभाग का अनुमान है कि 5 अक्टूबर के बाद से प्रदेश में वर्षा की तीव्रता धीरे-धीरे कम हो जाएगी।
इसी बीच, धमतरी जिले के जोरातराई गांव में एक टापू पर 65 वर्षीय पुजारी फंस गए थे। वे पूजा के लिए महानदी पार कर रहे थे, तभी बाढ़ के चलते टापू पर फंस गए। लगभग आठ घंटे बाद रेस्क्यू टीम ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
महिला को खाट पर बांधकर नदी पार कराई
इससे पहले गरियाबंद जिले में ग्रामीणों ने प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला को खाट पर बांधकर नदी पार कराई। घटना का वीडियो भी सामने आया। देवझर अमली निवासी 24 वर्षीय पिंकी नेताम को अचानक प्रसव पीड़ा हुई। गर्भवती के परिजन एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं होने पर खाट पर लिटाकर ले गए।
सुरक्षा के लिहाज से महिला को खाट से बांधा गया, ताकि नदी पार करते समय वह गिर न जाए। ग्रामीणों ने उसे अमाड़ नदी पार कराते हुए सावधानीपूर्वक देवभोग के स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया।
15 अक्टूबर के बाद मानसून लौटने के आसार
मौसम विभाग के मुताबिक, 30 सितंबर तक हुई बारिश को मानसून की बारिश माना जाता है, जबकि इसके बाद की बारिश को ‘पोस्ट मानसून’ यानी मानसून के बाद की बारिश माना जाता है।
फिलहाल देश के कई हिस्सों से मानसून की वापसी शुरू हो चुकी है। छत्तीसगढ़ में आमतौर पर 5 अक्टूबर के आसपास सरगुजा की तरफ से मानसून लौटना शुरू करता है, लेकिन इस बार वापसी में देरी हो सकती है।
मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस बार प्रदेश में मानसून करीब 15 अक्टूबर के बाद लौटेगा, यानी सामान्य से करीब 10 दिन देर।
बेमेतरा में सबसे कम बरसा पानी
प्रदेश में अब तक 1167.4 मिमी औसत बारिश हुई है। बेमेतरा जिले में अब तक 524.5 मिमी पानी बरसा है, जो सामान्य से 50% कम है। अन्य जिलों जैसे बस्तर, राजनांदगांव, रायगढ़ में वर्षा सामान्य के आसपास हुई है। जबकि बलरामपुर में 1520.9 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 52% ज्यादा है। ये आंकड़े 30 सितंबर तक के हैं।
जानिए क्यों गिरती है बिजली
बादलों में मौजूद पानी की बूंदें और बर्फ के कण हवा से रगड़ खाते हैं, जिससे उनमें बिजली जैसा चार्ज पैदा होता है। कुछ बादलों में पॉजिटिव और कुछ में नेगेटिव चार्ज जमा हो जाता है। जब ये विपरीत चार्ज वाले बादल आपस में टकराते हैं तो बिजली बनती है।
आमतौर पर यह बिजली बादलों के भीतर ही रहती है, लेकिन कभी-कभी यह इतनी तेज होती है कि धरती तक पहुंच जाती है। बिजली को धरती तक पहुंचने के लिए कंडक्टर की जरूरत होती है। पेड़, पानी, बिजली के खंभे और धातु के सामान ऐसे कंडक्टर बनते हैं। अगर कोई व्यक्ति इनके पास या संपर्क में होता है तो वह बिजली की चपेट में आ सकता है।