भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया, जिससे वे देश के तीसरे ऐसे उपराष्ट्रपति बन गए, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को त्यागपत्र सौंपा, जिसमें लिखा गया कि चिकित्सकीय सलाह के चलते वह स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देना चाहते हैं।
74 वर्षीय धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति पद संभाला था, और उनका कार्यकाल 2027 तक तय था। लेकिन संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले उनका यह निर्णय राजनीतिक हलचल का कारण बन गया है। हाल ही में उनकी दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में एंजियोप्लास्टी हुई थी। इस वर्ष मार्च में भी उन्हें कुछ समय के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
धनखड़ से पहले वीवी गिरि और भैरों सिंह शेखावत ऐसे उपराष्ट्रपति रहे हैं जिन्होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया था। वीवी गिरि ने 1969 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए पद छोड़ा था, जबकि शेखावत ने 2007 में प्रतिभा पाटिल के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद इस्तीफा दिया था।
धनखड़ का कार्यकाल विपक्ष के साथ कई बार टकरावों से भरा रहा। राज्यसभा के सभापति के तौर पर उनकी भूमिका कई बार विवादों में रही, यहां तक कि विपक्ष ने उनके खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव भी पेश किया था, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया।
अब सवाल यह उठ रहा है कि नए उपराष्ट्रपति के निर्वाचन तक राज्यसभा की कार्यवाही कौन संचालित करेगा। नियमों के अनुसार, छह महीने के भीतर उपराष्ट्रपति का चुनाव कराया जाना आवश्यक है। इस बीच राज्यसभा के उपसभापति सदन की कार्यवाही देख सकते हैं।
कांग्रेस ने इस इस्तीफे पर सवाल उठाते हुए इसे चौंकाने वाला और अस्पष्ट बताया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि धनखड़ को मंगलवार दोपहर एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता करनी थी, और न्यायपालिका से जुड़ी घोषणाएं भी अपेक्षित थीं।