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धनकुबेर, एंटी-इंडिया प्रोपेगेंडा में आगे… दागदार है जॉर्ज सोरोस का इतिहास, जानिए हिंडनबर्ग से क्या है कनेक्शन

देश में जहां अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) की नई रिपोर्ट की चर्चा हो रही है, तो वहीं मार्केट रेग्युलेटर सेबी चीफ को लेकर इसमें लगाए गए आरोपों पर विपक्ष के हमलों का जवाब देते हुए BJP ने जोरदार पलटवार किया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए हिंडनबर्ग और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा, इस बीच उन्होंने George Soros के नाम का भी जिक्र किया. इससे पहले भी अदाणी Hindenburg-Adani मामले में ये नाम सुर्खियां बन चुका है. आइए जानते हैं जॉर्ज सोरोस के बारे में सबकुछ…

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सबसे पहले बात करते हैं कि BJP ने हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट पर क्या कहा? तो बता दें, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने हिंडनबर्ग की हालिया रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे देश की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने की साजिश करार दिया. इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिकी बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस (George Soros) का इस मामले से कनेक्शन बताया. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि हिंडनबर्ग में मुख्य निवेशक जॉर्ज सोरोस हैं. उन्होंने कहा कि ये सभी मिलकर भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) को अस्थिर बनाने का काम कर रहे हैं.

ऐसा पहली बार नहीं है जब हिंडनबर्ग-अदाणी मामले में अमेरिकी बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस का नाम सामने आया है. इससे पहले भी जब बीते साल Hindenburg ने गौतम अदाणी के नेतृत्व वाले Adani Group पर रिपोर्ट पब्लिश की थी, तो उसके कुछ महीने बाद ही अडानी ग्रुप पर OCCRP ने आरोप लगाए हैं, जिसका मुख्यालय भी अमेरिका में है. साल 2006 में स्थापित हुई ये कंपनी दुनियाभर में आर्थिक अपराध खुलासों के लिए जानी जाती है. वैसे तो इसकी वेबसाइट पर जिक्र है कि ये पब्लिक फंडेड फर्म है. लेकिन पब्लिक के साथ-साथ इसे अरबपति जॉर्ज सोरोस (George Soros) की कंपनी भी आर्थिक मदद करती है यानी यह जॉर्ज सोरोस फंडेड फर्म है.

धनकुबेर और एंटी-इंडिया प्रोपेगेंडा में आगे रहने वाले जॉर्ज सोरोस का जन्म 12 अगस्त, 1930 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था. उनकी वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, 17 साल की उम्र में उन्होंने देश छोड़ दिया और लंदन आ गए थे. ये वो समय था जब दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हंगरी में यहूदियों को मारा जा रहा था, तब उनके परिवार ने फर्जी आईडी बनवाकर जान बचाई थी. लंदन आने के बाद सोरोस ने स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में दाखिला लिया था.

94 साल के ये अरबपति खुद को दार्शनिक और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं. हालांकि, उन पर दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने का एजेंडा चलाने का आरोप भी लगता रहा है. फोर्ब्स के मुताबिक, उनकी नेटवर्थ (George Soros Net Worth) 6.7 अरब डॉलर या करीब 56,257 करोड़ रुपये से ज्यादा है.

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई करने के बाद जॉर्ज सोरोस 1956 में लंदन से निकलकर अमेरिका पहुंच गए. यहां उन्होंने फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट की दुनिया में कदम रखा और इनकी किस्मत बदलती चली गई. 1973 में उन्होंने ‘सोरोस फंड मैनेजमेंट’ लॉन्च किया, जिसने उन्हें अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़ा और कामयाब निवेशक बना दिया. सोरोस खुद को जरूरतमंदों की मदद करने वाला बताते हैं. उनकी वेबसाइट पर दावा किया गया है कि ओपन सोसायटी फाउंडेशन के जरिए सोरोस अब तक अपनी पर्सनल वेल्थ से 32 अरब डॉलर जरूरतमंदों की मदद के लिए दे दान कर चुके हैं.

हंगरी-अमेरिकी मूल के मशहूर अरबपति जॉर्ज सोरोस अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. खासतौर पर उनकी नजर भारतीय उपमहाद्वीप में हो रहे राजनीतिक बदलावों पर रहती है. सोरोस कई मंचों से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लगातार सत्ता में बने रहने से तानाशाही की ओर बढ़ने वाला नेता कहते रहे हैं.

अब आपको बताते हैं कि जॉर्ज सोरोस ने कब-कब भारत को निशाने पर लिया है.

– भारत में नागरिकता संशोधन कानून और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने को लेकर जॉर्ज सोरोस ने पीएम मोदी पर निशाना साधा था. सोरोस का आरोप था कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है.

– पिछले साल जनवरी में जब हिंडनबर्ग से अडानी ग्रुप पर सवाल उठाया तो हाथ सेंकने के लिए जॉर्ज सोरोस भी सामने आ गए थे. जॉर्ज सोरोस ने अडानी मुद्दे के बहाने फिर पीएम मोदी पर निशाना साधा था. सोरोस ने दावा किया था कि अदाणी के मुद्दे पर भारत में एक लोकतांत्रिक परिवर्तन होगा.

– वैसे जॉर्ज सोरोस बेतुके बयान देने में भी पीछे नहीं रहते हैं. बीते दिनों उन्होंने म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में कहा था कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं. मोदी के तेजी से बड़ा नेता बनने के पीछे अहम वजह मुस्लिमों के साथ की गई हिंसा है.

– इससे पहले 2020 में जॉर्ज ने कहा था कि मोदी के नेतृत्व में भारत तानाशाही व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है. ये बयान उन्होंने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में दिया था. उन्होंने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का भी खुलकर विरोध किया था.

1992 में बैंक ऑफ इंग्लैंड को बर्बाद करने के लिए जॉर्ज सोरोस को कसूरवार माना जाता है. वैसे 93 साल के जॉर्ज ने अपना उत्तराधिकारी अपने बेटे अलेक्जेंडर को चुना है, जॉर्ज के कुल 5 बच्चे हैं.

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