बंदरों के आतंक से थर्राया धरवार गांव: ग्रामीण भयभीत, उपजिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन; महिला गंभीर रूप से घायल

Uttar Pradesh: जसवन्त नगर तहसील क्षेत्र का शांत दिखने वाला धरवार गाँव इन दिनों बंदरों के अनियंत्रित आतंक से जूझ रहा है. गाँव के सैकड़ों निवासियों ने इस गंभीर समस्या से निजात पाने की आस में उपजिलाधिकारी कुमार सत्यम जीत से गुहार लगाई है। ग्रामीणों ने एक विस्तृत ज्ञापन सौंपकर बताया कि किस प्रकार बंदरों की बढ़ती संख्या ने उनके जीवन को नरक बना दिया है.

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बंदरों की बढ़ती आबादी, गहराता संकट
ग्रामीणों की शिकायत के अनुसार, धरवार गाँव में बंदरों की आबादी अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई है। वे अब केवल खेतों और बागों तक ही सीमित नहीं रहे, जहाँ वे फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुँचाते हैं। अब वे मानव बस्तियों में घुसपैठ कर रहे हैं और सीधे लोगों पर हमला करने लगे हैं, जिससे गाँव में भय और अनिश्चितता का माहौल है। ग्रामीण मुनी लाल, जितेन्द्र कुमार, कुलदीप केहरिया, अमित पान, अमीरुल और सोनू कुमार जैसे ग्रामीणों का अनुमान है कि गाँव में 200 से अधिक बंदर हैं, जो दिन-प्रतिदिन आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई घर से बाहर निकलने में डर महसूस करता है.
ताजा घटना: महिला पर जानलेवा हमला, गंभीर रूप से घायल
इस गंभीर समस्या की गंभीरता को रेखांकित करते हुए, ग्रामीणों ने अपने ज्ञापन में हाल की एक दिल दहला देने वाली घटना का उल्लेख किया है। बुधवार की सुबह, गाँव की निवासी श्रीमती संध्या पत्नी संजय कुमार पर बंदरों के एक झुंड ने अचानक हमला कर दिया। यह हमला इतना भीषण था कि संध्या देवी गंभीर रूप से घायल हो गईं और उन्हें तत्काल नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराना पड़ा। यह घटना गाँव में व्याप्त दहशत का एक प्रत्यक्ष प्रमाण है और इसने ग्रामीणों के बीच रोष भर दिया है.
प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग
इस बढ़ते आतंक को देखते हुए, ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल और प्रभावी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने उपजिलाधिकारी से अपील की है कि वन विभाग को निर्देशित किया जाए कि वह इन उत्पाती बंदरों को पकड़वाकर गाँव से दूर, प्राकृतिक आवास में स्थानांतरित करे। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक इन बंदरों को गाँव से बाहर नहीं निकाला जाता, तब तक वे भयमुक्त जीवन नहीं जी पाएंगे.

इस संबंध में, वन दरोगा बबलू चौहान ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि उन्हें अभी तक उपजिलाधिकारी कार्यालय से कोई औपचारिक निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। हालांकि, उन्होंने आश्वस्त किया है कि जैसे ही उन्हें इस मामले में कोई निर्देश मिलेगा, वन विभाग तत्काल कार्रवाई करेगा और ग्रामीणों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। ग्रामीणों को उम्मीद है कि प्रशासन उनकी पीड़ा समझेगा और जल्द ही इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान निकालेगा.

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