बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर और कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री काशी पहुंचे, जहां उन्होंने मणिकर्णिका घाट पर पूरी रात कठिन साधना की। जलती हुई चिताओं के बीच साधना करने का उद्देश्य उन्होंने अपने दादा गुरु को याद करना बताया। शास्त्री ने कहा कि उनके दादा गुरु का शरीर यहीं पूर्ण हुआ था, इसलिए उनका मणिकर्णिका घाट से 2010 से गहरा संबंध रहा है।
धीरेंद्र शास्त्री ने काशी प्रवास के दौरान WWE रेसलर रिंकू सिंह उर्फ वीर महान से भी मुलाकात की। रिंकू सिंह इस समय संत प्रेमानंद महाराज के साथ रह रहे हैं। दोनों की मुलाकात के बाद धार्मिक और सामाजिक विषयों पर चर्चा हुई।
मणिकर्णिका घाट पर शास्त्री की साधना का दृश्य बेहद अद्भुत था। चिताओं के बीच साधना करना बेहद कठिन और साहसिक माना जाता है। यह स्थान हिंदू आस्था के अनुसार मोक्षदायी स्थल है, जहां मृत्यु के बाद आत्मा की मुक्ति का विश्वास किया जाता है। इसी कारण यहां निरंतर चिताएं जलती रहती हैं।
धीरेंद्र शास्त्री ने साधना के बाद भक्तों से कहा कि आत्मिक शक्ति और साधना से ही जीवन में संतुलन आता है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके दादा गुरु ने उन्हें चमत्कारी सिद्धियां दी थीं, जो उन्हें धर्म और समाज की सेवा में सहायक बनाती हैं।
काशी में उनकी मौजूदगी से श्रद्धालुओं में उत्साह देखा गया। बड़ी संख्या में लोग घाट पर पहुंचे और इस अद्भुत साधना को देखने के बाद भावविभोर हो गए। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि काशी आकर उन्हें अपार ऊर्जा मिलती है और यहां की साधना उनके लिए आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत है।
यह साधना न केवल व्यक्तिगत साधना का हिस्सा थी, बल्कि लोगों को यह संदेश देने का भी प्रयास था कि जीवन की कठिनाइयों से जूझने के लिए आत्मबल और अध्यात्म सबसे बड़ा सहारा है।