CBI ने 34,000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के मामले में DHFL के पूर्व निदेशक धीरज वधावन को गिरफ्तार कर लिया है. यह धोखाधड़ी 17-सदस्यीय ऋणदाता बैंक संघ के साथ की गई थी. धीरज वधावन को CBI की टीम ने गिरफ्तार किया है. यह जानकारी मंगलवार को CBI के हवाले से दी गई.
संबंधित अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि धीरज वधावन को सोमवार की रात मुंबई से गिरफ्तार किया गया और उसे एक विशेष अदालत में पेश किया गया. जिसने उसे मंगलवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. उन्होंने कहा कि इससे पहले DHFL के पूर्व निदेशक और उनके भाई कपिल को इस मामले में 19 जुलाई, 2022 को गिरफ्तार किया गया था.
CBI ने 15 अक्टूबर, 2022 को कपिल और धीरज सहित 75 संस्थाओं के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. उन्हें 3 दिसंबर, 2022 को विशेष अदालत से इस आधार पर वैधानिक जमानत दी गई थी, कि जांच अधूरी थी और आरोप पत्र टुकड़ों में दायर किया गया था. आगे इस आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था.
CBI ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसने जमानत आदेशों को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि विशेष अदालत के साथ-साथ उच्च न्यायालय ने शीर्ष अदालत द्वारा प्रतिपादित और तय की गई कानूनी स्थिति की अवहेलना करके कानूनी रूप से गंभीर त्रुटि की.
इस बीच, धीरज वधावन को बॉम्बे हाई कोर्ट से मेडिकल के आधार पर एक अलग मामले में अंतरिम जमानत मिल गई थी, क्योंकि वह इलाज के लिए लीलावती अस्पताल में भर्ती थे. बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस साल 2 मई को उस मामले में जमानत को नियमित कर दिया था और सीबीआई की गिरफ्तारी से उनकी सुरक्षा भी एक सप्ताह के लिए बढ़ा दी थी.
अधिकारियों के अनुसार, सुरक्षा अवधि समाप्त होने के बाद सीबीआई ने वधावन को गिरफ्तार कर लिया. वर्तमान में, तीन आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं. जिनमें धीरज वधावन और उनके भाई कपिल वधावन और अजय नवांदर शामिल हैं. सीबीआई ने 17-सदस्यीय ऋणदाता संघ के नेता यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर वधावन और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसने 2010 और 2018 के बीच डीएचएफएल को 42,871 करोड़ रुपये की ऋण सुविधाएं दी थीं.
CBI ने अपने आरोप पत्र में आरोप लगाया है कि कपिल और धीरज वधावन ने दूसरों के साथ आपराधिक साजिश में, तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया और छुपाया, आपराधिक विश्वासघात किया और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करके कंसोर्टियम को 34,615 करोड़ रुपये का चूना लगाया. मई 2019 से ऋण भुगतान में भी लापरवाही बरती गई.
CBI ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने सार्वजनिक धन का उपयोग करके कपिल और धीरज वधावन के लिए संपत्ति बनाने के चलते वित्तीय अनियमितताएं कीं, धन का दुरुपयोग किया, फर्जी किताबें बनाईं और धन का गोल-गोल इस्तेमाल किया. अधिकारियों ने कहा कि DHFL ऋण खातों को ऋणदाता बैंकों द्वारा अलग-अलग समय पर गैर-निष्पादित संपत्ति घोषित किया गया था.