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‘G7 संग जारी रहेगा संवाद और सहयोग’, इटली में बोले पीएम मोदी, वर्ल्ड लीडर्स संग हुई द्विपक्षीय मीटिंग

पीएम मोदी ने कहा, ‘इस समिट में निमंत्रण के लिए मैं प्रधानमंत्री मेलोनी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं. मैं चांसलर शोल्ज़ को उनके जन्मदिन पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं. G-7 समिट का ये आयोजन विशेष भी है और ऐतिहासिक भी है. G-7 के सभी साथियों को इस समूह की पचासवीं वर्षगांठ की बहुत-बहुत बधाई.’

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उन्होंने कहा, ‘पिछले सप्ताह आप में से कई मित्र, यूरोपियन पार्लियामेंट के चुनावों में व्यस्त थे. कुछ मित्र आने वाले समय में चुनावों की सरगर्मी से गुजरेंगे. भारत में भी पीछे कुछ महीने चुनाव का समय था. भारत के चुनाव की विशेषता और विशालता कुछ आकड़ों से समझी जा सकती है. 2600 से ज्यादा राजनीतिक पार्टियां, 1 मिलियन से ज्यादा पोलिंग बूथ, 5 मिलियन से ज्यादा ईवीएम, 15 मिलियन पोलिंग स्टाफ और लगभग 970 मिलियन वोटर्स, जिनमें से 640 मिलियन लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया.’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह विश्व का सबसे बड़ा और मानवता के इतिहास में लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व रहा. यह लोकतंत्र की जननी के रूप में हमारे प्राचीन मूल्यों का जीवंत उदाहरण भी है. मेरा यह सौभाग्य है कि भारत की जनता ने लगातार तीसरी बार मुझे उनकी सेवा करने का अवसर दिया है. भारत में पिछले छह दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है. भारत के लोगों ने इस ऐतिहासिक विजय के रूप में जो अपना आशीर्वाद दिया है वह लोकतंत्र की विजय है, पूरे लोकतांत्रिक विश्व की विजय है.’

उन्होंने कहा, ’21वीं सदी टेक्नोलॉजी की सदी है. मानव जीवन का शायद ही कोई ऐसा पहलू होगा जो टेक्नोलॉजी के प्रभाव से वंचित हो. एक तरफ जहां टेक्नोलॉजी मनुष्य को चांद तक ले जाने का साहस देती है, वहीं दूसरी ओर साइबर सिक्योरिटी जैसी चुनौतियां भी पैदा करती है. हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि टेक्नोलॉजी का लाभ सभी वर्गों तक पहुंचे. यह केवल हमारी अभिलाषा नहीं, हमारा दायित्व होना चाहिए. हमें टेक्नोलॉजी में एकाधिकार को सर्वाधिकार में बदलना होगा. हमें टेक्नोलॉजी को संहारक नहीं सृजनात्मक रूप देना होगा. तभी हम एक समावेशी समाज की नींव रख सकेंगे.’

पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत अपनी इस ह्यूमन-सेंट्रिक अप्रोच के जरिए एक बेहतर भविष्य के लिए प्रयास कर रहा है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भारत नेशनल स्ट्रेटेजी बनाने वाले पहले कुछ देशों में शामिल है. इसी स्ट्रेटेजी के आधार पर हमने इस वर्ष एआई मिशन लॉन्च किया है. इसका मूल मंत्र है ‘A.I. for All’ (ए.आई. फॉर ऑल). ग्लोबल पार्टनरशिप फॉर एआई के संस्थापक सदस्य और लीड चेयर के रूप में हम सभी देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘पिछले वर्ष भारत की मेज़बानी में की गई G-20 समिट के दौरान हमने A.I. के क्षेत्र में इंटरनेशनल गवर्नेंस के महत्व पर बल दिया. भविष्य में भी A.I. को पारदर्शी, निष्पक्ष, सुरक्षित, सुलभ और जिम्मेदार बनाने के लिए हम सभी देशों के साथ मिलकर काम करते रहेंगे.’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘ऊर्जा के क्षेत्र में भी भारत की अप्रोच चार सिद्धांतों पर आधारित है- Availability, Accessibility, Affordability and Acceptability. भारत COP (कॉप) के अंतर्गत लिए गए सभी प्रतिबद्धताओं को समय से पहले पूरा करने वाला पहला देश है. हम 2070 तक नेट जीरो के तय लक्ष्य को पाने के अपने कमिटमेंट को पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं. हमें मिलकर आने वाले समय को ग्रीन एरा बनाने का प्रयास करना चाहिए. इसके लिए भारत ने मिशन LiFE यानि Lifestyle For Environment की शुरुआत की है. इस मिशन पर आगे बढ़ते हुए, 5 जून, पर्यावरण दिवस पर, मैंने एक कैंपेन शुरू की है- ‘एक पेड़ मां के नाम’.’

उन्होंने कहा, ‘अपनी मां से सभी प्यार करते हैं. इसी भाव से हम वृक्षारोपण को एक ‘Mass Movement with personal touch and global responsibility’ बनाना चाहते हैं. मेरा आग्रह है कि आप सभी इसमें जुड़ें.’ पीएम ने कहा, ‘2047 तक विकसित भारत का निर्माण हमारा संकल्प है. हमारा कमिटमेंट है कि समाज का कोई भी वर्ग देश की विकास यात्रा में पीछे न छूटे. यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है. वैश्विक अनिश्चित्तायों और तनाव में ग्लोबल साउथ के देशों को सबसे बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.’

उन्होंने कहा कि भारत ने ग्लोबल साउथ के देशों की प्राथमिकताओं और चिंताओं को विश्व पटल पर रखना अपना दायित्व समझा है. इन प्रयासों में हमने अफ्रीका को उच्च प्राथमिकता दी है. हमें गर्व है कि भारत की अध्यक्षता में G-20 ने अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्य बनाया. अफ्रीका के सभी देशों के आर्थिक और सामाजिक विकास, स्थिरता और सुरक्षा में भारत योगदान देता आया है, और आगे भी देता रहेगा.’

मेलोनी ने ‘नमस्ते’ से किया पीएम मोदी का स्वागत

 G-7 की अहम बैठक में जब पीएम मोदी विशेष अतिथि के तौर पर पहुंचे तो उनकी मुलाकात इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी से हुई. दोनों ने हाथ जोड़कर एक-दूसरे का अभिवादन किया. मंच पर दोनों नेताओं ने काफी देर एक-दूसरे से बात की और एक दूसरे का हालचाल जाना. दोनों नेताओं की इन तस्वीरों में भारत और इटली के बीच मजबूत होती आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी की वो झलक भी दिखी जो पीएम मोदी की अगुवाई में लगातार बढ़ी है.

इन दोनों नेताओं की तस्वीरें और वीडियो कई बार खूब वायरल भी हो चुकी हैं. दिसंबर 2023 में COP28 समिट में भी प्रधानमंत्री मोदी और इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी की मुलाकात की सबसे ज्यादा चर्चा हुई. दोनों नेताओं की सेल्फी इंटरनेट पर बहुत ज्यादा देखी गई जिस पर लोगों ने खूब कमेंट किए. इससे पहले भारत आईं इटली की प्रधानमंत्री ने मोदी को सबसे लोकप्रिय बताकर प्रशंसा की थी.

ऐसे में G-7 समिट से पहले दुनिया के दो दिग्गज नेताओं की इन तस्वीरों के साथ ये समझना भी जरूरी है कि आखिर हाल के कुछ साल में भारत और इटली एक-दूसरे के करीब क्यों हुए हैं. दोनों देशों के बीच जिस तरह दोस्ती मजबूत हुई है उसका दुनिया के लिए क्या मायने हैं. वैश्विक मंचों पर इटली भारत की भूमिका को इतना अहम क्यों मानता है.

वर्ल्ड लीडर्स से मिले पीएम मोदी

इस दौर में प्रधानमंत्री मोदी का G-7 सम्मेलन में भाग लेना काफी अहमियत रखता है और ये वर्ल्ड लीडर्स से पीएम मोदी की मुलाकात में साफ झलकता है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक पूरी गर्मजोशी से पीएम मोदी से गले मिलते हैं और फिर बातचीत के लिए कुर्सी पर बैठने से पहले हाथ जोड़कर पीएम मोदी का अभिभादन करते हैं. ऐसी ही गर्मजोशी यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की और पीएम मोदी की मुलाकात में भी नजर आती है दोनों नेताओं के बीच युद्ध के मौजूदा हालात पर भी बात होती है.

वैश्विक चुनौतियों के दौर में पीएम मोदी की जेलेंस्की से मुलाकात इसलिए भी अहम है क्योंकि पीएम मोदी ही ऐसे नेता हैं जिन्होंने दुनिया हर मंच से युद्ध की मुखालफत की, बिना किसी लाग-लपेट के युद्ध के खिलाफ दुनिया की एकजुटता की वकालत की. G-7 समिट के दौरान द्विपक्षीय बातचीत में एक अहम मुलाकात पीएम मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के बीच रही. इस दौरान दोनों देशों के बीच मेक इन इंडिया, डिफेंस, न्यूक्लियर, स्पेस, एजुकेशन के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे कई मुद्दों पर बात हुई. दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाया जाएगा क्योंकि ये स्थिर वैश्विक व्यवस्था के लिए ये बेहद जरूरी है.

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