रायपुर। छत्तीसगढ़ में डायरिया और डेंगू-मलेरिया का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. प्रदेश के शासकीय और निजी अस्पतालों में डायरिया के मरीजों में 30 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है. डायरिया से पीड़ित सबसे ज्यादा बच्चे हैं. प्रदेशभर में इस वर्ष जनवरी से अब तक डायरिया के 10,830 मरीज मिल चुके हैं. डायरिया से कवर्धा जिले में पांच तथा जांजगीर-चांपा जिले में दो की मौत हुई है.
हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने इससे इनकार किया है. डेंगू के इस वर्ष अब तक 30 मरीज मिल चुके हैं, जिसमें से दस इसी माह के शामिल हैं. मलेरिया के पीड़ितों का भी अस्पताल पहुंचना शुरू हो गया है. दुर्ग, राजनांदगांव, धमतरी, बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर-चांपा, बीजापुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, सुकमा, कोंडागांव और कांकेर में मलेरिया के केस सामने आ रहे हैं.
गरियाबंद जिले में 15 से अधिक गांवों में मलेरिया का प्रकोप छाया हुआ है. मलेरिया का सबसे ज्यादा प्रकोप बस्तर संभाग में है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी छमाही रिपोर्ट के अनुसार, बीजापुर में विगत छह माह में मलेरिया के 4,441, बस्तर में 1,660, दंतेवाड़ा में 1,640, नारायणपुर में 1,509, सुकमा में 1,144, कोंडागांव में 701 तथा कांकेर में 259 केस मिल चुके हैं.
छत्तीसगढ़ में मलेरिया का पॉजिटिव दर 0.51 प्रतिशत
इधर, स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि मलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत 2020 से 2023 के दौरान पहले से नौंवे चरण तक मलेरिया का पॉजिटिव दर 4.60 प्रतिशत से घटकर 0.51 प्रतिशत हो गया है. अभियान का दसवां चरण 5 जुलाई 2024 को समाप्त हुआ है. डॉक्टरों का कहना है कि मलेरिया के केस अगस्त में ज्यादा आते हैं. प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आंबेडकर अस्पताल में मलेरिया के प्रतिदिन चार से पांच मरीज पहुंच रहे हैं.
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा, स्वास्थ्य संस्थानों में दवाओं के पर्याप्त इंतजाम के निर्देश दिए गए हैं. प्रदेश में मलेरिया के काफी कम केस आए हैं. आने वाले पांच सालों में बस्तर को पूरी तरह से मलेरिया मुक्त करने का संकल्प लिया गया है, जिस दिशा में काम किया जा रहा है.