डायरी के पन्नों ने खोला राज: किशन सालवी आत्महत्या केस में अनिता राज की जमानत फिर खारिज

भीलवाड़ा : जिले के बहुचर्चित किशन सालवी आत्महत्या मामले में न्यायालय ने एक बार फिर कड़ा रुख अपनाया है.गंगापुर स्थित अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय (एडीजे कोर्ट) ने आरोपी अनिता राज पत्नी सुशील कुमार की जमानत याचिका को खारिज कर दिया.यह दूसरी बार है जब अदालत ने जमानत पर राहत देने से इंकार किया है इससे पहले एसीजेएम कोर्ट ने भी जमानत अर्जी नामंजूर कर दी थी.

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दिल्ली से पहुंचे हाई प्रोफाइल वकील की मौजूदगी, कोर्टरूम में गूंजते तर्क और न्याय की उम्मीद में बैठे परिवादी पक्ष सबकी नजरें इसी एक सवाल पर टिकी थीं क्या आरोपी को जमानत मिलेगी? लेकिन अदालत ने सुसाइड नोट और डायरी को गवाही से कम नहीं समझा.

 

डायरी बनी गवाह, सुसाइड नोट ने सुनाई सच्चाई

4 फरवरी को किशन सालवी ने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली थी, लेकिन वह जाते-जाते अपने दर्द को पन्नों पर छोड़ गया.उसकी डायरी और सुसाइड नोट में जिन नामों का उल्लेख था, वे सिर्फ नाम नहीं, बल्कि उसके टूटे विश्वास की चीख थी.दिल्ली की अनिताराज, चित्तौड़गढ़ के ओमप्रकाश, मुकेश और चंदन गर्ग इन चारों पर किशन ने मानसिक प्रताड़ना और आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था.किशन की कलम ने जो लिखा, वही आज कोर्ट में गूंज रहा है.

 

अदालत ने कहा — नहीं मिलेगी राहत

परिवादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु सुवालका ने जोरदार विरोध करते हुए अदालत को विश्वास दिलाया कि आरोपी को जमानत देना न्याय प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है.अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और यह मानते हुए कि मामला गंभीर प्रकृति का है, आरोपी अनिता राज की जमानत याचिका खारिज कर दी.यह मामला हमें एक बार फिर सोचने पर मजबूर करता है कि जब इंसान का दर्द शब्दों में ढलकर पन्नों पर उतरता है, तो वह महज भावनाएं नहीं, बल्कि न्याय की दस्तक होती है। “कुछ पन्ने ऐसे होते हैं, जिन्हें न जलाया जा सकता है, न भुलाया सिर्फ पढ़कर इंसाफ दिया जा सकता है.”

 

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