एयर इंडिया के बोइंग 787-8 विमान के अहमदाबाद में क्रैश ने कई गंभीर सवाल खड़े किए. इस दुर्घटना से सिर्फ चार हफ्ते पहले, ब्रिटेन की सिविल एविएशन अथॉरिटी (CAA) ने फ्यूल कंट्रोल स्विच को लेकर एक अहम चेतावनी जारी की थी, जिसमें बोइंग 787 ड्रीमलाइनर सहित पांच मॉडलों पर रोजाना जांच का निर्देश दिया गया था. हालांकि, एयर इंडिया गैर-जरूरी मानते हुए इस फ्यूल स्विच की जांच नहीं करता.
ब्रिटेन की CAA ने 15 मई को जारी सिक्योरिटी अलर्ट में कहा था कि बोइंग के कुछ विमानों में लगे फ्यूल शटऑफ वॉल्व एक्टुएटर एक संभावित सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकते हैं. इस आधार पर उन्होंने सभी एयरलाइन ऑपरेटर्स को निर्देश दिया कि वे FAA के एयरवर्थीनेस डायरेक्टिव (AD) की समीक्षा करें और देखें कि क्या यह उनके विमानों पर लागू होता है.
क्रैश हुए विमान मॉडल भी चेतावनी की लिस्ट में
इस चेतावनी में बोइंग 737, 757, 767, 777 और 787 मॉडल शामिल थे और एयरलाइनों को निर्देश दिया गया था कि वे अपने विमानों पर फ्यूल शटऑफ वॉल्व एक्टुएटर की जांच, परीक्षण या जरूरत के मुताबिक बदलाव करें.
एयर इंडिया ने इस चेतावनी को लागू नहीं किया. एयर इंडिया का कहना है कि FAA द्वारा 2018 में जारी विशेष एयरवर्थीनेस सूचना बुलेटिन (SAIB) सिर्फ एक सलाह थी, जबकि अनिवार्य नहीं. इसलिए उन्होंने फ्यूल कंट्रोल स्विच की जांच नहीं कराई.
एयर इंडिया ने बुलेटिन को गंभीरता से नहीं लिया?
AAIB द्वारा जारी शुरुआती जांच रिपोर्ट में लिखा है, “एयर इंडिया से मिली जानकारी के मुताबिक, सुझाव के मुताबिक निरीक्षण इसलिए नहीं किया गया क्योंकि SAIB सिर्फ सलाह थी, और यह अनिवार्य नहीं था. VT-ANB विमान पर 2019 और 2023 में थ्रॉटल कंट्रोल मॉड्यूल बदला गया, लेकिन यह बदलाव फ्यूल कंट्रोल स्विच से संबंधित नहीं था.”
इनके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2023 के बाद से VT-ANB विमान में फ्यूल कंट्रोल स्विच से जुड़ी कोई खराबी दर्ज नहीं हुई थी. अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या एयर इंडिया ने CAA की 15 मई 2025 की सुरक्षा चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया? जबकि यह चेतावनी ऑपरेटर्स के लिए स्पष्ट रूप से एक्शन योग्य थी, ना कि सिर्फ सलाह.