क्या अपने आप घटना हो गई, मुंबई चमत्कारी हो गई है?….7/11 बम धमाके के फैसले पर पर बोले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद

जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बुधवार (23 जुलाई) को मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कई अहम मुद्दों पर अपने विचार रखे. उन्होंने धर्म न्यायालय की स्थापना की घोषणा की, जिसकी शुरुआत 15 दिनों में होगी.जगद्गुरु ने इस न्यायालय की जरूरत पर जोर दिया, खासकर तब जब धार्मिक मामलों की बारीकियों को अक्सर मौजूदा अदालतों में समझा नहीं जाता.

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शंकराचार्य ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका का जिक्र किया, जिसमें तिरुपति बालाजी के प्रसाद में कुछ मिलावट का आरोप लगाया गया था और शुद्ध घी में प्रसाद बनाने का निर्देश जारी करने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपनी याचिका वापस लेने के लिए कहा, लेकिन कोर्ट की टिप्पणी पर शंकराचार्य ने गहरा आश्चर्य व्यक्त किया.

7/11 बम धमाके के फैसले पर उठाए सवाल

प्रेस कॉन्फ्रेंस में, शंकराचार्य ने हाल के 7/11 धमाके में हाई कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाए, विशेष रूप से उन मामले पर जहां पीड़ितों को न्याय नहीं मिला. उन्होंने घटना का जिक्र किया और पूछा कि “जो लोग मरे इस घटना में उसके बारे में कौन सोचेगा?” उन्होंने कोर्ट के एक फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, “यह कैसा फैसला है कोर्ट का? आज जो लोग पकड़े गए हैं वो निर्दोष हैं ” उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि क्या “अपने आप घटना हो गई” और “मुंबई चमत्कारी हो गई है?”.

उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए, खासकर जहां 100 दिनों के बाद गवाही नहीं सुनी जाती या जहां फैसला आने में 11 साल लग जाते हैं और फिर भी कोई संतोषजनक परिणाम नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि “किस सरकार की असफलता है, यह अलग बात है,” लेकिन मुकदमे की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए.

गाय के दूध विभाजन पर उठाया सवाल

उन्होंने गाय के दूध में ‘A2’ और ‘A1’ के वैज्ञानिक विभाजन पर सवाल उठाते हुए कहा, “यह कितनी गजब की बात है, गाय-गाय में भेद किया जा रहा है. उन्होंने पूछा कि अगर वैज्ञानिकों के अनुसार A2 दूध बेहतर है, तो क्या कुटिया (देसी गाय) के दूध से भगवान का प्रसाद बनाया जाना चाहिए?. शंकराचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए भारतीय नागरिक होना जरूरी है और जजों के लिए इंटरव्यू लिए जाते हैं, लेकिन “भगवान के लिए गाय कौन सी हो, यह कैसे तय किया जा सकता है?. उन्होंने जोर देकर कहा कि अपराध और संपत्ति से जुड़े मामले अदालतों में हों, लेकिन धार्मिक मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप उपयुक्त नहीं है.

कबूतरों को दाना खिलाने के मामले पर पुनर्विचार की मांग

कबूतरों को दाना खिलाने से होने वाली बीमारियों के संदर्भ में शंकराचार्य ने तर्क दिया कि अगर यह कहा जाता है कि मानव के मन में भी बैक्टीरिया होते हैं, तो क्या मानव को ही हटा देना चाहिए या राशन की दुकानों को बंद कर देना चाहिए?. उन्होंने कबूतरों के लिए पुनर्वास की वकालत की. उन्होंने कहा कि पहले हमने ही उन्हें दाना डालने की आदत डाली, और अब उन्हें उनकी हालत पर छोड़ देना ऐसा कैसे हो सकता है?.उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि धर्म न्यायालय के फैसलों से असहमत होने वाला कोई भी व्यक्ति “अपने दूसरे न्यायालय” में जा सकेगा.

गौमाता और गौ हत्या पर सरकार से चर्चा की अपील

शंकराचार्य ने गौमाता के संबंध में प्रोटोकॉल की कमी पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि “नामकरण करने से ही गौमाता नहीं होंगी,” और सरकार से गौमाता के लिए प्रोटोकॉल बनाने और उनके खाने-पीने का विवरण देने के लिए चर्चा शुरू करने का आह्वान किया. उन्होंने घोषणा की कि 15 दिन बाद सरकार को एक बार फिर इस मुद्दे पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया जाएगा, और इस मामले को मुख्यमंत्री तथा संबंधित मंत्रियों तक पहुंचाया जाएगा.

भाषा और राज ठाकरे पर टिप्पणी

वहीं महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकरशंकराचार्य ने बताया कि वो मराठी सीख रहे हैं और जल्द ही मराठी में भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. उन्होंने हिंदी को पहले से ही राजभाषा घोषित होने और बाद में मराठी को यह दर्जा दिए जाने का उल्लेख किया.

इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे द्वारा इस्तेमाल की गई डुबो डुबो के मारेंगे वाली टिप्पणी को लेकर कहा उन्हें “भीगो भीगो के मारेंगे” ऐसा कहना चाहिए था यह तो मुहावरा जैसा होता लेकिन उन्होंने डुबो डुबो के मारेंगे कहा यह हिंसा की भाषा है उन्होंने कहा, “बात ये है कि भाषा के संदर्भ में जब बात कर रहे हैं ये भाषा नहीं हिंसा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की भाषा का प्रयोग नहीं होना चाहिए, और जो लोग इसका इस्तेमाल करते हैं वो कुछ देर बाद अकेले हो जाएंगे.

एकनाथ शिंदे की तारीफ

इस दौरानशंकराचार्य ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की तारीफ भी की. उन्होंने कहा किएकनाथ शिंदे के लिए स्वर्ण अक्षरों वाली बुक तैयार हो रही है. उन्होंने कहा किकोई नेता जब अच्छा काम करता है तो अच्छा कहना चाहिए , एकनाथ शिंदे का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखाया जा रहा है जल्द ही उसका प्रकाशन करेंगे.

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