खानपान की चीजों से लेकर असली-नकली का खेल किताबों तक पहुंच गया है। मामला चौंकाने वाला है, क्योंकि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की नकली किताबें शहर में बिक रही है। कहीं आपने भी एनसीईआरटी की नकली किताबें तो नहीं खरीद ली है। इंदौर मार्केट में ये खेल चल रहा है। इसलिए किताबों को एक बार चेक जरूर कर लें।
आप चंद सेकेंड में असली-नकली किताब की पहचान कर सकते हैं। किताब को चेक करने के लिए अलग-अलग पैरामीटर है। इसमें पेज की क्वालिटी, कलर, एनसीईआरटी लोगो, डायग्राम के शेप्स और कुछ अन्य चीजें शामिल हैं। जानिए क्या है पूरा मामला और कैसे असली और नकली किताब की पहचान होगी।।
3 पॉइंट में समझिए कैसे करें असली और नकली किताब की पहचान
- आप जो भी किताब खरीद रहे हैं, उसके 8 पन्ने लगातार चेक करें। आपको हर दूसरे पन्ने पर एनसीईआरटी का वाटर मार्क नजर आ जाएगा। लेकिन अगर बुक-मार्क मिसिंग है तो आपकी किताब पाइरेटेड यानी नकली है।
- हर किताब की क्वालिटी चेक करें। पन्ने फटे हुए तो नहीं हैं, उसकी प्रिंट क्वालिटी कैसी है, ग्राफिक्स या चित्र स्पष्ट हैं या नहीं। अगर इनमें से कहीं भी कमी लगे तो आपकी किताब नकली है।
सिली हुई या दोबारा बाइंड की गईं किताबें भी नहीं खरीदें। अगर मार्केट में एनसीईआरटी की किताबों की कमी है, तो थोड़ा इंतजार कर लें। वहीं किसी भी दुकानदार को प्रिंटेड रेट से अधिक पर किताबें बेचने की अनुमति नहीं है।
नकली किताबों से ये है नुकसान
- नकली किताबें बेचकर स्टूडेंट्स के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। स्टूडेंट्स को पढ़ने के लिए अधूरा सिलेबस मिलता है।
- नकली किताबों को छापने के लिए घटिया क्वालिटी के कागज और स्याही का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए ये स्टूडेंट्स की सेहत और आंखों के लिए हानिकारक है।
- अच्छी तरह से चेक किए बिना नकली किताब खरीदने से ब्लैक मार्केट और पाइरेसी को बढ़ावा मिलता है।
डुप्लीकेट किताब बेचने पर मोटा कमीशन
एनसीईआरटी की डूप्लीकेट किताबों के कागज और प्रिंट लो क्वालिटी के होते हैं, इसलिए ये काफी सस्ती बन जाती हैं। एनसीईआरटी की किताबों की डुप्लिकेटिंग से करोड़ों का मुनाफा होता है। दुकानदारों को भी डूप्लीकेट किताबें बेचने पर मोटा कमीशन दिया जाता है। कमीशन के चक्कर में दुकानदार विरोध भी नहीं करते और पेरेंट्स-स्टूडेंट्स को नकली किताबें थमा देते हैं।
कांग्रेस ने एनसीईआरटी को बताया आरएसएस की शाखा
एनसीईआरटी की किताब से बाबरी मस्जिद, रथ यात्रा और विध्वंस के बाद की हिंसा की जानकारी हटाने के बाद विवाद शुरू हो गया है। मामले में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा- एनसीईआरटी 2014 से आरएसएस से मान्यता प्राप्त एक संस्था के तौर पर काम कर रही है। ये संविधान पर हमला कर रही है। एनसीईआरटी अब एक पेशेवर संस्था नहीं रही।