भरतपुर: सफलता पाने के लिए पढ़ा लिखा होना जरूरी नहीं है, अगर आपने जिद्द है ,अपने सपनो को पूरा करने की तो आप हर सपने को पूरा कर सकते है. यह साबित कर दिखाया बिहार के किसान मधुसूप सिंह कुशवाहा ने.उनका पढ़ाई में मन नहीं लगा और एक दिन स्कूल से भागकर मधुमक्खी पालन का कार्य सीखकर करीब 9 साल बाद खुद का काम डाला.अब मधुमक्खी पालन व्यवसाय से प्रतिवर्ष 15 लाख रुपए से अधिक की कमाई होती है. उनका कहना है कि यह व्यवसाय कम लागत में दोगुना मुनाफा देने वाला व्यवसाय है. इससे किसान की आर्थिक स्थिति बिगड़ने की बजाय मजबूत होती है.
बिहार में मुजफ्फरपुर निवासी मधुसूप कुशवाहा ने बताया कि करीब 23 साल से मधुपालन का काम कर रहे हैं. सन 1993 की बात है जब वह कक्षा तीसरी में पढ़ रहे थे लेकिन उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता था. एक दिन परिवार वालों को बताए बिना स्कूल से भागकर मधुमक्खी पालन का काम सीखा.करीब 9 साल बाद खुद का 50 बॉक्सों से काम शुरू किया अब उनके पास 600 बॉक्स है. देश के विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण करते हुए मधुमक्खी पालन का कार्य करते हैं.
मधुमक्खी पालन व्यवसाय से उन्हें प्रतिवर्ष 15 लाख रुपए से अधिक आमदनी होती है. उनके जिले के कई किसान उनसे प्रेरित होकर मधुमक्खी पालन का कार्य कर रहे हैं. यह ऐसा व्यवसाय है जिसमें कम लागत और अधिक मुनाफा होता है. किस को यह व्यवसाय जरूर करना चाहिए क्योंकि यह फसलों के साथ भी किया जा सकता है जिससे किसान को और अधिक लाभ होगा.
भरतपुर जिले में वह पिछले सात साल से आ रहे हैं और करीब तीन माह रहते हैं. क्योंकि इस समय सरसों में फूल होता है जिससे मधुमक्खी शहद एकत्रित करती है. इस समय जो शहर का उत्पादन होता है वह अन्य माह की बजाय अधिक कीमत होती है. एक बॉक्स से करीब 25 से 23 किलो शहद का उत्पादन होता है.