डीडवाना-कुचामन: 26 दिन बाद भी नाबालिग का सुराग नहीं, कुमावत समाज में आक्रोश…संघर्ष समिति ने आईजी को सौंपा ज्ञापन

डीडवाना-कुचामन: कुचामन सिटी में नाबालिग बालिका के अपहरण को 26 दिन से अधिक हो चुके हैं, लेकिन पुलिस अब तक बालिका को दस्तयाब करने में नाकाम रही है. इससे पूरे कुमावत समाज में गहरा आक्रोश है. मामले को लेकर गठित संघर्ष समिति ने आज अजमेर रेंज आईजी राजेंद्र सिंह से मुलाकात कर पुलिस की ढिलाई और कार्रवाई न होने की शिकायत की तथा ज्ञापन सौंपा.

आईजी को सौंपा ज्ञापन, पुलिस पर गंभीर आरोप

समिति ने अपने ज्ञापन में आरोप लगाया कि 27 अगस्त को कुचामन सिटी से अपहृत हुई नाबालिग को नामजद आरोपी कमल बिजारणियां ने सफेद स्विफ्ट कार में जबरन उठा लिया था. प्रत्यक्षदर्शियों के बावजूद पुलिस ने तत्काल दबिश नहीं दी और FIR भी कई घंटे बाद दर्ज की गई. समाज ने कहा कि शुरुआती समय में यदि कार्रवाई होती तो आरोपी फरार नहीं हो पाते.

ज्ञापन में यह भी कहा गया कि कुचामन थानाधिकारी की कार्यशैली जातिवाद और द्वेषपूर्ण है. कई बार ज्ञापन देने और आश्वासन मिलने के बावजूद अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई. समाज ने यह आशंका भी जताई कि आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है और इसी वजह से स्थानीय पुलिस मामले को दबाने में जुटी है.

पहले भी हुआ था बड़ा आंदोलन

10 सितंबर को हजारों लोगों ने पुलिस थाने के बाहर धरना दिया था. उस समय राज्यमंत्री विजय सिंह चौधरी और पुलिस अधीक्षक ऋचा तोमर के आश्वासन के बाद प्रदर्शन समाप्त हुआ था. आश्वासन दिया गया था कि सात दिन में बालिका बरामद कर ली जाएगी, लेकिन अब 26 दिन से ज्यादा गुजर चुके हैं और पुलिस के हाथ खाली हैं. इसी के चलते दो दिन समाज की बड़ी बैठक खारिया रोड स्थित शिव मंदिर में हुई, जिसमें 9 दिन का अल्टीमेटम दिया गया. समाज ने चेतावनी दी है कि अगर तय समय में बालिका नहीं मिली तो प्रदेशभर में आंदोलन होगा.

संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल

आईजी से मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल में संघर्ष समिति के सदस्य सत्यनारायण जायलवाल (अध्यक्ष, कुमावत युवा शक्ति), मोहन लाल घोड़ेला (सचिव, कुमावत विकास समिति), ओमप्रकाश बारवाल (उपाध्यक्ष, कुमावत विकास समिति) और किशन मारवाल शामिल रहे. इस अवसर पर सत्यनारायण जायलवाल ने कहा कि अब समाज का सब्र टूट रहा है. 26 दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी पुलिस खाली हाथ है. यह सिर्फ एक परिवार का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे समाज की बेटियों की सुरक्षा का सवाल है. अगर प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो हम प्रदेशव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.

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