डीडवाना-कुचामन : नावां नगर पालिका में तिरंगे संग राजनीति! स्वतंत्रता दिवस पर अध्यक्ष का अपमान या गलतफहमी?

डीडवाना – कुचामन: 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शुक्रवार को पूरा देश तिरंगे के रंग में रंगा हुआ था, लेकिन डीडवाना –  कुचामन जिले के नावां नगर पालिका में तिरंगे संग राजनीति का मामला सामने आया है. मामला उस वक्त गरमाया जब पालिका अध्यक्ष सायरी गांधी, स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में झंडारोहण कार्यक्रम में नदारद रहीं और पार्षदों ने खुद ही ध्वजारोहण कर दिया. बाद में अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि उन्हें जानबूझकर अपमानित किया गया और कार्यक्रम से दरकिनार किया गया. वहीं, अधिशासी अधिकारी मनीषा शिकेश ने सफाई दी कि दर्जनों फोन कॉल और निमंत्रण देने के बावजूद अध्यक्ष कार्यक्रम में नहीं पहुंचीं. इस विवाद ने राजनीतिक गलियारों और समाज दोनों में हलचल मचा दी है.

अध्यक्ष ने लगाया भेदभाव का आरोप

पालिका अध्यक्ष सायरी गांधी ने आरोप लगाया कि स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर न केवल पालिका स्तर बल्कि उपखंड स्तरीय आयोजन से भी उन्हें अलग रखा गया. उनका नाम प्रशस्ति पत्रों और निमंत्रण कार्ड से काट दिया गया तथा मंच पर बोलने का मौका तक नहीं दिया गया.


गांधी ने कहा, “हर बार की परंपरा तोड़ते हुए इस बार झंडारोहण का सम्मान छीन लिया गया. यह मेरे साथ अनुसूचित जाति महिला होने के कारण किया गया भेदभाव है. मैंने इस पूरे घटनाक्रम की शिकायत मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, भाजपा प्रदेश नेतृत्व और मानवाधिकार आयोग तक की है.”

अधिकारियों की सफाई – “दर्जनों कॉल किए”

अधिशासी अधिकारी मनीषा शिकेश ने कहा कि अध्यक्ष को कार्ड और व्हाट्स ऐप के जरिए निमंत्रण भेजा गया था. स्वतंत्रता दिवस के दिन भी पालिका से 6-7 बार कॉल किए गए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय पर्व पर कार्यक्रम को रोकना संभव नहीं था, इसलिए पार्षदों, जनप्रतिनिधियों और कर्मचारियों की उपस्थिति में झंडारोहण किया गया. भेदभाव का आरोप निराधार है.”

मेघवाल समाज में आक्रोश – सभा कर दी चेतावनी

घटना के बाद मेघवाल समाज ने अंबेडकर भवन में बैठक कर अध्यक्ष सायरी गांधी के साथ हुए अपमान को सामाजिक गरिमा से जोड़ते हुए आक्रोश प्रकट किया. समाज के नेताओं ने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति की पहली महिला पालिका अध्यक्ष को सुनियोजित तरीके से दरकिनार किया गया.


सभा में मांग की गई कि एसडीएम और ईओ को तुरंत एपीओ किया जाए, अन्यथा सोमवार को जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर आंदोलन की शुरुआत की जाएगी.

राजनीति की बिसात और गुटबाजी के चलते हुई साजिश

नगर पालिका में लंबे समय से गुटबाजी और टकराव की स्थिति बनी हुई है. अध्यक्ष और कुछ प्रभावशाली नेताओं के बीच ठनाव अब सार्वजनिक समारोहों तक पहुंच गया है. जानकारों का मानना है कि यह महज़ प्रोटोकॉल का मामला नहीं, बल्कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन है, जिसके जरिए अध्यक्ष को सार्वजनिक मंच पर नीचा दिखाने की कोशिश की गई.

पूर्व विधायक की प्रतिक्रिया – “निंदनीय घटना”

पूर्व विधायक महेंद्र चौधरी ने इस पूरे घटनाक्रम को लोकतंत्र की गरिमा के खिलाफ बताते हुए कहा कि स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर किसी भी जनप्रतिनिधि के साथ इस प्रकार का भेदभाव निंदनीय है.

जनता और सोशल मीडिया में गुस्सा

नगरवासियों और सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा खूब चर्चा में है. लोग इसे लोकतंत्र की हत्या और राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहे हैं. वहीं कुछ लोग इसे प्रशासनिक गलतफहमी करार दे रहे हैं.

क्या नावां में हुई  तिरंगे संग सियासत?

स्वतंत्रता दिवस, जो एकता और सम्मान का प्रतीक माना जाता है, नावां नगर पालिका में राजनीति का अखाड़ा बन गया. तिरंगे की छांव में उठे ये आरोप-प्रत्यारोप अब न केवल पालिका की गुटबाजी बल्कि जातीय और सामाजिक असमानता के प्रश्न को भी हवा दे रहे हैं. आने वाले दिनों में यह मामला स्थानीय राजनीति को हिला देने वाला बड़ा मुद्दा बन सकता है.

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