डीडवाना-कुचामन: 13 साल पुराने फायरिंग मामले में आज आया फैसला, जानिए क्या रहा कोर्ट का रुख

डीडवाना- कुचामन: डीडवाना के एडीजे कोर्ट ने 13 वर्ष पुराने बहुचर्चित फायरिंग व हत्या के प्रयास मामले में अहम फैसला सुनाया. अदालत ने सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया, जबकि एक आरोपी सुभाष मुण्ड को मफरूर घोषित किया गया.

मामला 19 जून 2013 का है, जब डीडवाना-सीकर मार्ग पर स्थित चौलूंखा गांव के बस स्टैंड पर फोगड़ी गांव निवासी बजरंग चाहर और घिरडोदा मीठा गांव निवासी धर्मपाल पर अज्ञात हमलावरों ने फायरिंग की थी, जिससे दोनों घायल हो गए थे. अगले दिन 20 जून 2013 को धर्मपाल के पिता रामनिवास ने पुलिस थाना डीडवाना में एफआईआर संख्या 92/2013 दर्ज करवाई.

पुलिस जांच के बाद सुभाष मुण्ड, परवेज अहमद, दामोदर सिंह, महिपाल सिंह, रणजीत सिंह, दीप सिंह उर्फ देवी सिंह, मदन सिंह और विजयेंद्र सिंह के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया गया. मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 32 गवाहों के बयान दर्ज करवाए और 70 दस्तावेज पेश किए.

बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता जयवीर सिंह दुजार, विकास ठोलिया और विमल शर्मा ने पैरवी की. लंबी सुनवाई के बाद अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश राकेश कुमार गजरा ने सभी आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 148, 323, 324, 326, 307, 427, 384, 341, 120बी एवं शस्त्र अधिनियम की धारा 5/27 के तहत लगे सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया. अदालत ने आरोपी सुभाष मुण्ड को मफरूर घोषित किया.

यह फैसला करीब 13 साल पुराने इस मामले में आया, जो लंबे समय तक डीडवाना इलाके में चर्चा का विषय रहा था.

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