बीजेपी ने बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति को अंतिम रूप दे दिया. यहां सहयोगी दलों से सीटों के बंटवारा सबसे आखिर में किया जाएगा. पार्टी ने हर विधानसभा सीट पर सर्वे करा लिया है. जिन मौजूदा विधायकों का प्रदर्शन ठीक नहीं, उनका टिकट काटा जाएगा. इस बार के बिहार के चुनाव में व्यक्ति नहीं बल्कि जीतने की क्षमता को टिकट देने का आधार बनाया जाएगा. सर्वे में जिसका भी नाम नहीं आता उसका टिकट काटा जाएगा, चाहे वह कितना ही बड़ा नेता क्यों न हो.
लगातार 2 सर्वे में खराब प्रदर्शन वाले विधायकों का टिकट कटना लगभग तय है. अभी चुनाव में पांच महीने बाकी हैं, लेकिन बीजेपी ने जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया है. ब्लॉक स्तर पर बैठकें हो रही हैं, हर सीट पर अपनी ताकत और कमजोरी का आकलन किया जा रहा है. विपक्षी दलों के नेताओं का भी आकलन किया जा रहा है. सीट दर सीट इसी हिसाब से रणनीति बनाई जाएगी.
दिल्ली में बीजेपी को काम आई थे ये रणनीति
अपने और विरोधी दल के संभावित बागियों की भी पहचान की जा रही है. बीजेपी ने हर हाल में बिहार चुनाव जीतने का लक्ष्य रखा है. बिहार जीतना इसलिए भी जरूरी क्योंकि महाराष्ट्र की ही तरह बिहार में विपक्षी गठबंधन की एक बड़ी धुरी है. साथ ही बिहार चुनाव के नतीजों का असर अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा.