3 जुलाई 2024 को गाजियाबाद के वैशाली में रहने वाली अपर्णा को एक अनजान नंबर से कॉल आया. कॉल करने वाले ने दावा किया कि वह TRAI यानी भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण से बोल रहा है. अपर्णा उलझन में पड़ गई और चौंक गई, क्योंकि कॉल करने वाले की आवाज़ अचानक बदल गई. आरोप लगाने वाली आवाज़ में उसने अपर्णा से कहा कि उसके आधार कार्ड पर एक नया सिम कार्ड खरीदा गया है और उस सिम कार्ड का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया है.
वीडियो कॉल के जरिए पूछताछ का ड्रामा
बात यहीं खत्म नहीं हुई. कॉल करने वाले ने आगे अपर्णा को धमकी देते हुए कहा कि अगर उसने कॉल काट दी तो उसे गिरफ़्तार कर लिया जाएगा. इसके बाद लखनऊ के आलमबाग पुलिस स्टेशन का एक फ़र्ज़ी पुलिस अधिकारी वीडियो कॉल के ज़रिए अपर्णा से जुड़ता है. वो नकली पुलिस अधिकारी था. जो उसे बताता है कि उसके नाम पर गिरफ़्तारी का वारंट जारी किया गया है.
स्कैमर ने अपर्णा को दी ये धमकी
घोटाला करने वाले ने अपर्णा को चेतावनी दी कि अगर उसने फ़ोन काट दिया तो पुलिस उसे तुरंत गिरफ़्तार कर लेगी. उसने दावा किया कि लखनऊ के आलमबाग पुलिस स्टेशन का एक पुलिस अधिकारी वीडियो कॉन्फ़्रेंस कॉल के ज़रिए जुड़ जाएगा क्योंकि अपराध लखनऊ में हुआ था.
वीडियो में वर्दी पहने बैठा था फर्जी पुलिस वाला
जल्द ही, स्क्रीन पर पुलिस अधिकारी की पोशाक पहने एक व्यक्ति दिखाई दिया. उसने अपर्णा पर मनी लॉन्ड्रिंग के लिए अपने मोबाइल और आधार नंबर का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और उसे बताया कि उसके नाम पर गिरफ़्तारी वारंट जारी किया गया है.
‘ED’ के खाते में जमा कराए लाखों रुपये!
डरकर अपर्णा कॉल करने वाले के निर्देशों का पालन करने लगी. इसके बाद उन चालबाजों ने उस महिला को मनी लॉन्ड्रिंग की जांच जारी रहने तक अपनी सारी बैंक बचत ईडी खाते (ED Account) में जमा करने के लिए मना लिया.
अपर्णा ने ट्रांसफर किए 7 लाख रुपये
डरी और पूरी तरह से झूठ के जाल में फंसी अपर्णा ने आज्ञाकारी छात्रा की तरह उनके निर्देशों का पालन करती गई. उन्होंने उसे सुरक्षा राशि प्रवर्तन निदेशालय के खाते में जमा करने को कहा. अपर्णा ने कई खातों में करीब 7 लाख रुपए ट्रांसफर किए, इस आश्वासन पर कि जांच के बाद यह रकम उसके खाते में वापस आ जाएगी.
रकम ट्रांसफर होते ही कट गई कॉल
पैसे ट्रांसफर होते ही घोटाला पूरा हो गया और कॉल कट गई. जब उसने अपने डिजिटल अरेस्ट के बारे में पूछना शुरू किया, तब अपर्णा को एहसास हुआ कि साइबर अपराधियों ने उसके साथ धोखाधड़ी की है. संक्षेप में यही है कि “डिजिटल अरेस्ट” घोटालेबाज अपने पीड़ितों के डर और भ्रम का ही फायदा उठाते हैं.
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