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बिहार में BJP और जन सुराज पार्टी के बीच डिजिटल चुनावी जंग, सोशल मीडिया पोस्ट-रील्स और मीम्स तय करेंगे जीत-हार!

बिहार चुनाव 2025 अब सिर्फ सभाओं और रोड-शो की लड़ाई नहीं रह गई है. इस बार असली रणभूमि बन गए हैं मोबाइल फोन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म. फेसबुक, ट्विटर (X), इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर नेताओं की जंग उतनी ही तेज है जितनी मैदान में. सबसे आगे दिख रही है बीजेपी, लेकिन प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी डिजिटल रणभूमि में जोरदार चुनौती दे रही है.

रीच के मामले में बीजेपी सबसे आगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 100 मिलियन से ज्यादा ट्विटर (X) फॉलोअर्स और फेसबुक-इंस्टाग्राम पर करोड़ों की रीच बीजेपी को डिजिटल जंग में बढ़त दिला रही है. हालांकि ऑनलाइन को लेकर एक्सपर्ट कहते हैं कि कंटेंट को लेकर किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं है.

बिहार के 12.5 करोड़ आबादी में 7 करोड़ लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. लिहाजा राजनीतिक दलों को इससे काफी फायदा होता है. सूबे में जेन-जी को लुभाने की रणनीति में सबसे बड़ा फोकस 15 से 20 सेकंड की रील, ट्रेंडिंग राजनीतिक मीम्स, वायरल हैशटैग और डिजिटल विज्ञापन पर हो रहा है.

बड़ा रोल अदा करेंगे सोशल मीडिया कैंपेन

टेक्निकल विशेषज्ञ पवन दुग्गल के मुताबिक “बिहार चुनाव में सोशल मीडिया कैंपेन एक बड़ा रोल अदा करेगा. चुनाव के आखिरी क्षण में जब अन्य माध्यमों से प्रचार नहीं कर पाते तब ये मीडियम घर घर तक पहुंच रहा होता है और लोगों के दिलो दिमाग पर जबरदस्त असर करता है.

वहीं गूगल ट्रांसपेरेंसी डेटा के अनुसार विगत एक महीने में आरजेडी ने महज 1 लाख रुपए प्रचार विज्ञापन पर खर्च किए हैं, जबकि कांग्रेस और जेडीयू ने पिछले महीने डिजिटल कैंपेन में कुछ खास खर्च नहीं किया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अंतिम क्षण में क्षेत्रीय पार्टियां भी अपने प्रचार की तीव्रता बढ़ा देंगी. वहीं इस डिजिटल जंग में प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी भी पीछे नहीं है.

कैसे काम करती है पीके की डिजिटल टीम?

सूत्रों के मुताबिक PK की डिजिटल टीम करीब 10000 वालंटियर्स की है, जो 12 देशों में फैली हुई है और इसका हेड क्वार्टर सिंगापुर में है. PK का मॉडल भारी खर्च से अलग है. वह ऑर्गेनिक रीच, मीम्स, लोकल वीडियो और इन्फ्लुएंसर नेटवर्क पर भरोसा कर रहे हैं. हाल ही में मनीष कश्यप जैसे बड़े नामों के जुड़ने से PK का डिजिटल इकोसिस्टम और मजबूत हुआ है.

प्रशांत किशोर का मॉडल बड़ा खर्च करने की बजाय ऑर्गेनिक रीच, लोकलाइज्ड कंटेंट और इन्फ्लुएंसर नेटवर्क पर आधारित है. उनकी 10000 लोगों की टीम और 12 देशों में फैला नेटवर्क उन्हें बीजेपी को गंभीर चुनौती देने वाले पार्टियों के कतार में आगे लाता है. हालांकि BJP के पैमाने से छोटा होने के बावजूद, PK का डिजिटल और ग्राउंड कंबिनेशन चुनावी जंग में असर डाल सकता है.

वोटरों तक पहुंचना आसान, लेकिन कंटेंट को लेकर चिंता

तमाम चुनावों में काम कर चुके सोशल मीडिया एक्सपर्ट नारायण राव का कहना है कि “बिहार में करीब साढ़े छह से सात करोड़ सोशल मीडिया यूजर्स हैं जो अलग-अलग प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम वगैरह यूज करते हैं. सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर जीत हार संभव है नहीं. लेकिन आप अपनी बात आसानी से कम खर्चे में लोगों तक पहुंचा सकते हैं. मगर सोशल मीडिया पर दिए गए कंटेंट या विचार कितना मजबूत है और लोग उस कंटेंट पर कितना विश्वास जता पाते हैं उससे लक्ष्य तक पहुंचना आसान हो जाता है.

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