Malegaon Verdict: दिग्विजय सिंह बोले, न हिंदू आतंकवाद होता है और न इस्लामिक, विहिप ने कहा- कांग्रेस का षड्यंत्र आज तार-तार हुआ

मालेगांव विस्फोट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. 29 सितंबर 2008 को नासिक के मालेगांव में एक मस्जिद के पास हुए विस्फोट में 6 लोग मारे गए थे. अदालत ने आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), आर्म्स एक्ट और अन्य आरोपों से मुक्त कर दिया. विस्फोट के पीड़ितों को मुआवजे का आदेश भी दिया गया है.

कोर्ट को संबोधित करते हुए साध्वी प्रज्ञा ने कहा, ”मैंने शुरू से कहा था कि जांच के लिए बुलाए जाने वालों के पीछे कोई आधार होना चाहिए. मुझे गिरफ्तार कर प्रताड़ित किया गया, जिससे मेरा जीवन बर्बाद हो गया. मैं एक सन्यासी हूं, फिर भी मुझ पर आरोप लगाए गए. यह भगवा को बदनाम करने की साजिश थी. आज भगवा और हिंदुत्व की जीत हुई है.”

अब इस फैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का तांता लग गया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि न हिंदू आतंकवाद होता है और न इस्लामिक आतंकवाद. उन्होंने जोर देकर कहा कि हर धर्म प्रेम, अहिंसा और सद्भाव का संदेश देता है और कुछ लोग ही धर्म का गलत उपयोग कर आतंकवाद को जन्म देते हैं.

विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने भगवा आतंकवाद की झूठी कहानी रची थी, जिसे अब अदालत ने ध्वस्त कर दिया है. उन्होंने राहुल गांधी समेत सभी कांग्रेसी नेताओं से देश और हिंदू समाज से माफी मांगने को कहा.

उधर, AIMIM प्रमुख असुदद्दीन ओवेसी ने सवाल उठाया कि क्या मोदी और फडणवीस सरकारें इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगी, जैसे मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में किया था. वहीं शिवसेना, बीजेपी समेत अन्य नेताओं ने भी फैसले और जांच प्रक्रिया पर संदेह जताया है.

ओवैसी ने फैसले को निराशाजनक बताते हुए कहा, ”छह नमाजी मारे गए और लगभग 100 लोग घायल हुए. उन्हें उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया. खराब जांच और अभियोजन पक्ष की नाकामी इसके लिए जिम्मेदार है.” उन्होंने सवाल उठाया कि क्या मोदी और फडणवीस सरकारें इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगी, जैसा कि उन्होंने मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में किया था.

ओवैसी ने 2016 में तत्कालीन अभियोजक रोहिणी सालियान के बयान का जिक्र किया, जिन्होंने कहा था कि NIA ने उनसे आरोपियों के प्रति नरम रुख अपनाने को कहा था. उन्होंने यह भी कहा कि साध्वी प्रज्ञा 2019 में भाजपा सांसद बनीं.

ओवैसी ने पूछा, “क्या NIA/ATS अधिकारियों को दोषपूर्ण जांच के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा? यह ‘आतंकवाद के खिलाफ कठोर’ मोदी सरकार है, जिसने एक आतंकवाद के आरोपी को सांसद बनाया.”

नेताओं की प्रतिक्रियाएं:-

BJP सांसद दामोदर अग्रवाल ने कहा, ”मालेगांव ब्लास्ट के समय विरोधियों ने साध्वी प्रज्ञा समेत कई नेताओं पर आरोप लगाए. आज कोर्ट के फैसले से सच सामने आ गया. ‘भगवा आतंकवाद’ की बातें झूठी थीं. वे निर्दोष हैं.”

शिवसेना (UBT) नेता अरविंद सावंत: ”कोर्ट ने सबूतों की कमी का हवाला दिया. मुंबई रेल ब्लास्ट में भी सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था. सवाल यह है कि अगर वे दोषी नहीं थे, तो उन्हें 17 साल तक बंदी क्यों रखा गया? पुलिस सबूत क्यों नहीं जुटा सकी? यह जांच और पुलिस विभाग की घोर विफलता है.”

BJP सांसद रवि किशन: ”मुझे समझ नहीं आता कि खुशी मनाऊं या दुख. उनके 17 साल कौन लौटाएगा? कांग्रेस के उन नेताओं को जवाब देना चाहिए जिन्होंने ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द गढ़ा. उन्हें 100 करोड़ हिंदुओं से जवाब देना चाहिए.”

शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के: ”सच्चाई की जीत हुई है. कांग्रेस सरकार ने हिंदू आतंकवाद के नाम पर गलतफहमी फैलाई थी. आज यह साबित हो गया कि उनकी कार्रवाई झूठी थी.”

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