मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह मुश्किल में फंस सकते हैं. क्योंकि 28 साल पुराने कांग्रेस नेता सरला मिश्रा कांड की फाइल एक बार फिर से खुलने जा रही है. भोपाल की जिला अदालत ने इस बहुचर्चित मामले में दोबारा जांच के आदेश दिए हैं. इस मामले में सरला के भाई अनुराग मिश्रा ने दिग्विजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
भोपाल का बहुचर्चित कांड सरला मिश्रा हमेशा से सुर्खियों में रहा है. अनुराग मिश्रा का कहना है ‘उनकी बहन सरला मिश्रा 14 फरवरी 1997 को संदिग्ध अवस्था में जली हुई पाई गई थीं. पुलिस ने उस समय इस मामले में आत्महत्या का मामला दर्ज किया था . जबकि वो मामला हत्या का था. भाई का कहना है कि उनकी बहन की हत्या राजनीतिक अदावत चलते उनकी बहन की गई हत्या की गई थी. उनका कहना कि ‘हम तब से ही ये बात कहते आए हैं. उस समय भी हमने पुलिस से कहा था कि हमारे बयान लीजिये मगर नहीं लिए गए .
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‘उम्मीद है हमें न्याय मिलेगा’
अनुराग मिश्रा ने कहा कि उस समय बीजेपी के विधायकों ने 10 दिन तक विधानसभा चलने नहीं दी थी. परिवार ने हत्या का आरोप उस समय मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह पर लगाए थे. उनका आरोप है ‘उस वक़्त पुलिस अधिकारी सीधे मुख्यमंत्री आवास से आए थे . हम तब से ही इन्साफ का इंतज़ार कर रहे है . 28 लग गए हमें इंसाफ का इंतज़ार करते’. केस को रीओपन होने पर उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा .
पुलिस ने सरला की मौत को बताया था सुसाइड
वहीं इस मामले के वकील अरुण चौबे का कहना है की ये प्रकरण का खात्मा कर दिया गया था .जिसकी विवेचना से संतुष्ट न होकर न्यायलय ने पुनः जांच के आदेश दिए गया है . हमें उम्मीद है की न्याय मिलेगा. दरअसल पुलिस की जांच में सरला मिश्रा की मौत को सुसाइड बताया गया था, लेकिन अब कोर्ट ने माना है कि पुलिस जांच सही से नहीं हुई थी और पुलिस को फिर से जांच कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिया गया है. भोपाल के टीटी नगर थाना पुलिस ने इस मामले की जांच की थी.
क्या है पूरा मामला
14 फरवरी 1997 में सरला मिश्रा की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी. वो भोपाल स्थित अपने आवास पर गंभीर रूप से जली हुई अवस्था में पाई गईं और बाद में उनकी मृत्यु हो गई थीं. इस मामले में उनके भाइयों, आनंद मिश्रा और अनुराग मिश्रा ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण सिंह पर सरला की हत्या में शामिल होने और मामले को दबाने का आरोप लगाया है. उस समय मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे.
परिवार ने की थी CBI से जांच की मांग
प्रारंभिक जांच में पुलिस ने इसे आत्महत्या करार दिया गया था, लेकिन सरला मिश्रा के परिवार ने इस निष्कर्ष को मानने से इनकार कर दिया और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच की मांग की. उनका आरोप है कि पुलिस ने मामले की ठीक से जांच नहीं की और कई कमियां थीं. 2015 में, इस मामले ने फिर से तूल पकड़ा जब सरला मिश्रा के भाइयों ने CBI जांच की मांग को लेकर धरना दिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की. बीजेपी के कुछ नेताओं ने भी इस मामले की CBI जांच की मांग की थी.