डीडवाना-कुचामन: राजस्व गांव बूटीनाथपुरा स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में शनिवार को उस वक्त हड़कंप मच गया, जब स्कूल भवन के बरामदे की करीब 20 सीमेंट पट्टियां भरभराकर नीचे गिर गईं। गनीमत रही कि हादसे के समय वहां कोई बच्चा या शिक्षक मौजूद नहीं था, वरना एक बड़ा हादसा हो सकता था। घटना ने विद्यालय की खस्ताहाल इमारत की पोल खोल दी है और विद्यार्थियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय ग्रामीणों और स्कूल प्रशासन के अनुसार, जून माह में विद्यालय की छत पर आकाशीय बिजली गिरने से भवन में कई जगह गंभीर दरारें आ गई थीं। इसकी सूचना विद्यालय स्टाफ और पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा समय पर शिक्षा विभाग और प्रशासन को दे दी गई थी।
ग्राम पंचायत शिव के प्रशासक लालाराम अण्दा ने बताया कि करीब 15 दिन पहले ग्रामीणों ने विद्यालय की जर्जर हालत की सूचना दी थी। 27 जून को पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय शिविर में यह मामला तहसीलदार व शिक्षा अधिकारियों के सामने ग्रामीणों की मौजूदगी में उठाया गया। इसके बाद लगभग 50 ग्रामीणों ने डीडवाना जिला मुख्यालय पहुंचकर कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
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विद्यालय में वर्तमान में लगभग 40 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। बरामदे की पट्टियां गिरने के बाद पूरे भवन की स्थिति और अधिक चिंताजनक हो गई है। डर के माहौल में आज बच्चों को स्कूल प्रांगण के पेड़ों की छांव में बैठाकर पढ़ाना पड़ा। एहतियात के तौर पर गिर चुकी पट्टियों वाले क्षेत्र को कांटेदार तारों से घेर दिया गया है।
निरीक्षण हुआ, रिपोर्ट भेजी जा रही- बीईईओ
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी भंवरलाल खोखर ने कहा कि बरामदे में दरारों की सूचना मिलने पर विभाग द्वारा निरीक्षण किया गया था। भवन की स्थिति अत्यधिक क्षतिग्रस्त पाई गई है। रिपोर्ट तैयार कर जिला शिक्षा अधिकारी को भेजी जा रही है। विद्यार्थियों को फिलहाल पास के आंगनबाड़ी केंद्र के सुरक्षित कमरों में बैठाने के निर्देश दिए गए हैं।
ग्रामीणों की मांग- नए भवन की जल्द स्वीकृति
इस हादसे के बाद अभिभावकों और ग्रामीणों में गहरी नाराजगी है। उनका कहना है कि भवन पूरी तरह असुरक्षित हो चुका है और जब तक नए भवन की स्वीकृति व निर्माण नहीं होता, तब तक बच्चों की जान खतरे में है। बूटीनाथपुरा का यह मामला ना सिर्फ एक स्कूल की जर्जर हालत को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि चेतावनी और ज्ञापन के बावजूद भी प्रशासनिक उदासीनता किस तरह भविष्य की पीढ़ियों को संकट में डाल रही है। अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन इस गंभीर समस्या पर कितनी तत्परता से कार्य करता है।