राजस्थान के जैसलमेर में वैज्ञानिकों के हाथ ऐसा खजाना लगा है, जिससे कई सारी जानकारियां हासिल हो सकती हैं. दरअसल, यहां एक गांव में तालाब की खुदाई के दौरान डानासोर युग के जीवाश्म वैज्ञानिकों को मिले हैं. इन्हें डायनासोर का कंकाल भी माना जा रहा है. हालांकि, इनकी वैज्ञानिक पुष्टि होना अभी बाकी है.
अब GIS टीम इसकी वैज्ञानिक जांच करेगी. फतेहगढ़ उपखंड के मेघा गांव में एक तालाब की खुदाई करते समय लोगों को पत्थर की ये विशिष्ट संरचनाएं और बड़े कंकाल जैसा एक ढांचा मिला. इनमें से कुछ टुकड़े जीवाश्म लकड़ी जैसे हैं तो बाकी हड्डियों जैसे दिख रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी राजस्थान में जीवाश्म लकड़ी असामान्य नहीं है, लेकिन हड्डी जैसी संरचनाओं की उपस्थिति इस खोज को विशिष्ट बनाती है.
फतेहगढ़ के उपखंड अधिकारी व तहसीलदार ने बुधवार को घटनास्थल का दौरा किया और अवशेषों का निरीक्षण किया. फतेहगढ़ के उपखंड अधिकारी भरतराज गुर्जर ने गुरुवार को बताया- हमने उच्च अधिकारियों को सूचित कर दिया है और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GIS) के वैज्ञानिकों के जांच के लिए मौके पर आने की उम्मीद है. पूरी जांच के बाद ही हम जीवाश्म की आयु और प्रकार की पुष्टि कर पाएंगे.
पुरातत्वविद् पार्थ जगानी ने कहा- यहां मिली कुछ संरचनाएं पथरीली लकड़ी जैसी दिखती हैं लेकिन एक बड़ी संरचना भी है जो कंकाल जैसी नजर आती है. इन सबका संयोजन बताता है कि ये अवशेष लाखों साल पुराने, संभवतः डायनासोर युग के हो सकते हैं. हालांकि, विशेषज्ञों ने वैज्ञानिक परीक्षणों से पहले इनके बारे में कोई निष्कर्ष नहीं निकालने को लेकर आगाह किया है.
100 साल पुराने भी हो सकते हैं
प्रोफेसर श्याम सुंदर मीणा ने कहा- ये अवशेष किसी गहरी खुदाई से नहीं निकले बल्कि सतह पर दिखाई दे रहे हैं. संभव है कि ये अधिक प्राचीन न हों और केवल 50 से 100 साल पुराने हों. केवल कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक विश्लेषण के अन्य तरीकों से ही उनकी सही आयु का पता लगाया जा सकता है. अधिकारियों ने कहा कि संदिग्ध जीवाश्म तालाब के पास पत्थर की चोटियों में धंसे हुए पाए गए, जो अक्सर प्राचीन तलछटी जमावों से जुड़ा होता है. थार रेगिस्तान में पहले भी जीवाश्म लकड़ी मिलने के समाचार आए हैं लेकिन कंकाल जैसी संरचना के साथ संयुक्त खोज इस मामले को विशिष्ट बनाती है.
सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें
इस खोज के बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल पर जमा हो गए और अवशेषों के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करने लगे. इस अनूठी खोज से अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह स्थल इस इलाके के प्रागैतिहासिक अतीत के नए साक्ष्य प्रदान कर सकता है. जैसलमेर जिले में पहले भी डायनासोर युग के महत्वपूर्ण जीवाश्म और पैरों के निशान मिले हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह नवीनतम खोज प्रमाणित हो गई तो इससे देश में जीवाश्म विज्ञान अनुसंधान के केंद्र के रूप में राजस्थान का महत्व और बढ़ेगा.