रायबरेली: फर्जी तरीके से सरकारी नौकरी हथियाने का सपना देख रहे जिले के चार स्कूलों के 16 कथित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर डीआईओएस ने एफआईआर करने के आदेश दिए हैं, सरकारी नौकरी हथियाने के लिए लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं. इसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते भी हैं. कुछ इसी तरह के मामले का खुलासा तब हुआ जब कोर्ट को गुमराह कर डीआईओएस पर वेतन देने का आदेश जारी करा लिया गया. जिसमें जिला विद्यालय निरीक्षक को नियुक्ति की जांच कर वेतन के मामले की कार्रवाई करनी थी.
इस संबंध में जब जिला विद्यालय निरीक्षक पर कई लोगों के अनावश्यक दबाव आने शुरु हो गए तो उनका माथा ठनका उन्होंने इन सभी रिट के कर्मचारियों की नियुक्ति की जांच शुरु कर दी. जिसमें सभी कर्मियों की नियुक्ति फर्जी पाई गई. इसको लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक संजीव कुमार सिंह ने जिले चार विद्यालयों के 16 कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज करवा कर कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं.
इन चार विद्यालयों के यह है कर्मी जिन पर हुआ मुकदमा दर्ज कराने का आदेश
जिले के राही ब्लाक के ख़ागीपुर सड़वा स्थित भारतीय शिक्षा निकेतन के कथित दो चतुर्थ श्रेणी कर्मी धर्मेंद्र प्रताप सिंह, ज्ञान प्रकाश है. वहीं राही के ही रुस्तम पुर स्थित गायत्री इंटर कालेज के चार कथित चतुर्थ श्रेणी कर्मी दिनेश कुमार ,उमाशंकर सिंह,गुलाब सिंह,सुमेर बहादुर है. हरचंदपुर के दो इंटर कालेज जिनमें चंद्रपाल इंटर कालेज में पांच कर्मी है जिनमें राम अभिलाष यादव,राजभूषण,महेंद्र कुमार,ललिता देवी,दिनेश कुमार के नाम हैं. इसी ब्लाक के जनपद इंटर कालेज के भी पांच लोग आदर्श प्रताप सिंह,सुनील कुमार, हौसिला प्रसाद,अनुराग सिंह,अशोक कुमार प्रजापति हैं. इन सभी 16 कथित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के खिलाफ जिला विद्यालय निरीक्षक संजीव कुमार सिंह ने प्रबंधन से एफ आई आर करा कर सूचना देने के आदेश दिए हैं.
क्या है मामला
2019 में जिले के कई इंटर कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी के कर्मी सेवानिवृत हुए थे. सूत्रों की माने तो इसके बाद इनके खाली पड़े पदों पर गेटिंग सेटिंग करके नियुक्ति दिखा दी गई थी. विद्यालयों इन लोगों के कोई रिकॉर्ड तक नहीं हैं. यहां तक कि प्रधानाचार्य यह तक नहीं जानते कि ये कर्मचारी कहां के है अब तक स्कूल में उनकी कोई जानकारी नहीं है. इस संबंध में रुस्तमपुर के गायत्री इंटर कालेज के प्रधानाचार्य छोटेलाल ने बताया उन्होंने 2023 में कार्य भार ग्रहण किया है, उनके विद्यालय में चार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति भी है इसकी इनको जानकारी नहीं है न ही स्कूल में कोई रिकॉर्ड है, वह यह तक नहीं जानते कि सभी लोग कहां के हैं वह पता लगवा रहे हैं, इसी तरह भारतीय शिक्षा निकेतन के एक शिक्षक ने बताया की वह इन दोनों कर्मचारियों को जानते तक नहीं हैं जबकि 15 वर्ष से इसी विद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहे हैं. इससे जाहिर है कि ऐसा स्कैम करने का प्रयास हुआ जिससे कि सरकार पर करोड़ों रुपए का वेतन का बोझ पड़ जाता.
किस तरह हुआ यह फर्जी नियुक्ति का खेल
अधिकांश चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सेवा निवृति के बाद गेटिंग सेटिंग करके लोग फर्जी नियुक्ति दिखा कर कोर्ट का सहारा लेते हैं की इतने साल से वह बिना वेतन के कार्य कर रहे हैं उनके वेतन दिलाया जाए. कोर्ट भी जिला विद्यालय निरीक्षक को आदेश कर देते है कि, जांच कर इस मामले में न्यायोचित कार्रवाई की जाए. जब तक कोई स्थाई नियुक्ति नहीं होती इनको वेतन दिया जाए. इस तरह उनके वेतन की राह आसान हो जाती हैं. इस बार मामला उल्टा ही पड़ गया वेतन क्या फर्जी नियुक्ति ही रद्द हुई और एफ आई आर के आदेश भी जारी हो गए.
जिला विद्यालय निरीक्षक की जांच में हुआ पर्दाफाश
जिला विद्यालय निरीक्षक संजीव कुमार सिंह ने बताया कि जब जिले के कई इंटर कालेजों के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति और वेतन निस्तारण की बात उनके सामने आई और की दबाव आने शुरु हुए तो उनको शंका हुई तब उन्होंने सभी की फाइल मंगवा कर नियुक्ति की जांच शुरू की कर दी. उसमें पाया गया कि जिन प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर हैं वह फर्जी हैं उस समय के सभी प्रधानाचार्यों को बीती 24 सितंबर को बुला कर इसकी पुष्टि भी कर ली गई. दूसरे इन लोगों के रिकॉर्ड भी स्कूल में नहीं हैं. इस पर इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक ने सभी फर्जी तरीके से नियुक्त कथित 16 कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज कराने के आदेश जारी कर दिए हैं.
क्या बोले जिम्मेदार
इस संबंध में जिला विद्यालय निरीक्षक संजीव कुमार सिंह ने बताया कि, जिले के चार स्कूलों के 16 कर्मियों की नियुक्ति फर्जी पाई गई है. जिस पर सभी के खिलाफ मामला दर्ज कराया जाएगा. अन्य स्कूलों की भी जांच की जा रही है. जहां भी फर्जी मामले होंगे कार्रवाई की जाएगी.