हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मिली भारी पराजय के बाद विपक्ष ने एक बार फिर ईवीएम में गड़बड़ी का राग अलापना शुरू कर दिया है. जबकि सिर्फ पांच महीने पहले हुए लोकसभा चुनावों में इन दोनों राज्यों में कांग्रेस ने बढ़त ली थी. कांग्रेस को लगता है कि ईवीएम में गड़बड़ी कर के चुनावों को प्रभावित किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग तक ने विपक्ष को बहुत समझाने की कोशिश की पर जब भी हार मिलती है, विपक्ष ईवीएम पर ठीकरा फोड़ने से नहीं चूकता है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में खुलासा हो गया है कि कांग्रेस को महाराष्ट्र की हार का पता अपनी आंतरिक सर्वें में पहले ही चल गया था. तो क्या कांग्रेस नेता केवल अपनी झेंप मिटाने के लिए ईवीएम में गड़बड़ी की बात कर रहे हैं. क्योंकि कांग्रेस में भी कई नेता ईवीएम में गड़बड़ी की बात पर भरोसा नहीं करते रहे हैं. इसमें चिदंबरम पिता-पुत्र का नाम सबसे ऊपर लिया जा सकता है.
1-कांग्रेस के अंदरूनी सर्वे में क्या आया सामने?
महाराष्ट्र में कांग्रेस को मिली हार इतनी बड़ी हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए थी, क्योंकि चुनावों से पहले राज्य में किए गए आंतरिक सर्वेक्षणों ने स्पष्ट रूप से बताया था कि महाविकास अघाड़ी (एमवीए), जिसका कांग्रेस हिस्सा है, लोकसभा चुनावों में मिली बढ़त को बनाए रखने में नाकाम होने जा रही है. इन सर्वेक्षणों में पार्टी को पहले ही ये बात पता चल गई थी कि एकनाथ शिंदे सरकार की लाड़की बहिन योजना ने लोगों के बीच बहुत तेजी से पैठ बनाई है.
मतदान से चार हफ्ते पहले अक्टूबर में यह सर्वे उन 103 सीटों पर करवाया गया था, जहां MVA मजबूत रही है. लेकिन सर्वे बता रहा था कि महाविकास अघाड़ी गठबंधन लोकसभा चुनावों में मिली बढ़त को खोता हुआ दिख रहा है. गठबंधन की 103 जिताऊ सीटों में से केवल 44 पर ही जीत की संभावना बन रही थी. इसी सर्वे के अनुसार भाजपा के नेतृत्व वाला महायुति गठबंधन 49 सीटों से बढ़कर 56 सीटों पर अपनी बढ़त बनाता दिख रहा था. खुलासा यह भी हुआ कि मुस्लिम समुदाय ही एकमात्र ऐसा वर्ग है जो एनडीए के बजाय एमवीए को वोट देता दिख रहा है. जबकि अन्य सभी वर्गों जिसमें सामान्य, ओबीसी, एसबीसी, एससी, एसईबीसी, एसटी में एमवीए की लोकप्रियता कम हो रही है और महायुति को फायदा हो रहा है.
2-कांग्रेस ही नहीं विपक्ष के बहुत से नेता मानते हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ हो रही है
महाराष्ट्र में चुनावी हार को लेकर कांग्रेस इतनी व्यथित है कि पार्टी के अधिकतर नेता ईवीएम के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. ईवीएम के खिलाफ माहौल तैयार करने की कोशिश की जा रही है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह हों या हिमाचल सीएम सुखविंदर सुक्खु, सभी ने ईवीएम के खिलाफ बयान देने में कोताही नहीं दिखाई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने खुद राहुल गांधी से ईवीएम के खिलाफ अभियान शुरू करने का आग्रह किया और चुनावों में कागजी मतपत्रों के उपयोग का प्रस्ताव दिया. खड़गे ने कहा कि एससी, एसटी और ओबीसी जैसे हाशिये पर रहने वाले समुदायों के वोटों की अनदेखी ईवीएम के कारण हो रही है.
दूसरे दल भी कांग्रेस पार्टी की हां में हां मिला रहे हैं. अखिलेश यादव की कोई भी सभा ईवीएम के खिलाफ बोले बिना पूरी नहीं होती है. लोकसभा में बड़ी जीत के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा था कि केंद्र में सपा की सरकार बन जाए तो भी वे यह मानने के तैयार नहीं होंगे कि ईवीएम में छेड़छाड़ नहीं होती है. महाराष्ट्र में हार के बाद एनसीपी (एसपी) नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि ईवीएम में हेराफेरी साबित करने के लिए सबूतों की जरूरत है. वे इस संबंध में कांग्रेस से बात करेंगी. उत्तर प्रदेश में उपचुनावों में बुरी तरह से मात खाने वाली बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी ईवीएम के जरिए फर्जी वोटिग का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी पार्टी भविष्य में उपचुनावों में भाग नहीं लेगी.
3-कांग्रेस को चिदंबरम पिता-पुत्र की बात भी सुननी चाहिए
महाराष्ट्र में कांग्रेस के कई नेता ईवीएम को दोष दिए जाने पर आश्चर्यचकित हैं. क्योंकि महाराष्ट्र की आंतरिक सर्वे में पहले ही पता चल चुका था कि एमवीए की हार हो रही है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट में महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं के हवाले से कहा गया है कि जब चुनावों में पहले से तय हार मिली थी तो ईवीएम पर ठीकरा फोड़ना आश्चर्यजनक नहीं लग रहा है. क्योंकि ऐसा करना पार्टी की राज्य और सेंट्रल लीडरशिप दोनों का सूट करता है. यानी इससे कांग्रेस यहां तक कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने भी हर चुनावी हार के बाद पार्टी द्वारा ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगाने का समर्थन नहीं किया.
ईवीएम पर उठ रहे सवालों पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम कहते हैं कि मैं मानता हूं कि ईवीएम पर शंका करने वालों की संख्या बहुत है. पर मुझे कभी ईवीएम के साथ कोई खराब अनुभव नहीं हुआ. चिदंबरम का यह बयान अभी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद आया है. चिदंबरम ईवीएम की तारीफ भी करते हैं. वे कहते हैं कि इसके चलते वोटों की गिनती तेज हुई है और अमान्य होने वाले वोटों को संख्या खत्म हो गई है. वे सिर्फ इतना ही जोड़ते हैं कि ईवीएम के साथ VVPAT पर्चियों की भी 100 फीसदी गणना हो जाए.
पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, जो तमिलनाडु के शिवगंगा से कांग्रेस के लोकसभा सांसद हैं, ने भी ईवीएम पर पार्टी के रुख से असहमति जताई है. कार्ति कहते हैं कि मैं 2004 से ईवीएम से होने वाले चुनावों में भाग ले रहा हूं. मुझे व्यक्तिगत रूप से कभी कोई खराब अनुभव नहीं हुआ. न ही मेरे पास ऐसा कोई सबूत है जो किसी तरह की गड़बड़ी या छेड़छाड़ का सुझाव देता हो. कार्ति यह कहते हैं कि उन्हें ईवीएम की मजबूती या प्रभावशीलता के बारे में कोई संदेह नहीं है. हालांकि, कार्ति ने ऐसा ही बयान लोकसभा चुनाव से पहले भी दिया था, जिस पर कांग्रेस पार्टी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस थमा दिया था.
26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने भी बैलेट पेपर के उपयोग वाली मांग को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट कहता है कि होता यह है कि जब आप चुनाव जीतते हैं तो ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं होती. जब आप चुनाव हारते हैं तो ईवीएम में गड़बड़ी होती है.