DM नेहा शर्मा की पहल – गोंडा में गोबर के उपलों से मनेगी हरित होली

गोंडा: इस वर्ष होली पर गोंडा जिले में एक अनोखी और पर्यावरण-अनुकूल पहल शुरू की गई है. जिलाधिकारी नेहा शर्मा के नेतृत्व में प्रशासन ने होलिका दहन में लकड़ी की जगह गोबर के उपलों और गोबर लॉग (गोकास्ट) के उपयोग को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है. इस पहल का उद्देश्य पेड़ों की कटाई को रोकना, प्रदूषण कम करना और गौशालाओं को आर्थिक संबल प्रदान करना है. 

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गोबर लॉग से होगी होलिका दहन की शुरुआत

गोंडा में इस बार पारंपरिक होली को नई दिशा देने के लिए गोवंश आश्रय स्थलों में तैयार किए गए गोबर के उपलों और गोकास्ट लॉग का उपयोग किया जाएगा. जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जिले के ग्राम पंचायतों, कस्बों और नगर क्षेत्रों में अधिक से अधिक गोबर उत्पादों का इस्तेमाल सुनिश्चित किया जाए. 

गौशालाओं को मिलेगा आर्थिक लाभ

इस योजना के तहत गौशालाओं में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से गोबर के उपले और गोकास्ट लॉग बनाए जा रहे हैं. इनकी बिक्री के लिए गौशालाओं, स्वयं सहायता समूह बिक्री केंद्रों, कृषि, डेयरी और खादी ग्रामोद्योग विभाग के आउटलेट्स को अधिकृत किया गया है. सरकार ने गोबर लॉग की कीमत 5 रुपये प्रति किलोग्राम तय की है, जो लकड़ी से 20% सस्ता है.

कई विभागों की सहभागिता, जिलेभर में अभियान

इस अभियान को सफल बनाने के लिए प्रशासन ने पशुपालन, राजस्व, पंचायतीराज, नगर विकास, ग्राम्य विकास और गृह विभाग की सहभागिता सुनिश्चित की है. जिलाधिकारी ने सभी होलिका दहन समितियों को गोबर से बने उपलों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करने का निर्देश दिया है. 

पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान

गोंडा में परंपरागत रूप से होलिका दहन में बड़ी मात्रा में लकड़ी का उपयोग होता है, जिससे वृक्षों की कटाई और वायु प्रदूषण बढ़ता है। इस पहल से न केवल पेड़ों की कटाई रुकेगी, बल्कि कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा. जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने जिलेवासियों से अपील की.

“हमारी परंपराओं और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है. इस बार होली में गोबर से बने उपलों और गोकास्ट लॉग का उपयोग कर हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और गौशालाओं को आर्थिक सहयोग दे सकते हैं.”

गोंडा जिले के 51 स्थानों पर होगा गोबर उपलों से होलिका दहन

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. शशि कुमार शर्मा ने बताया कि जनपद के सभी 16 ब्लॉकों में 51 स्थानों पर गोबर के उपलों से होलिका दहन की व्यवस्था की गई है. इनमें प्रमुख रूप से झंझरी, पंडरी कृपाल, रुपईडीह, इटियाथोक, तरबगंज, बेलसर, नवाबगंज, वजीरगंज, मनकापुर, छपिया, बभनजोत, कर्नलगंज, कटरा बाजार, हलधरमऊ, मुजेहना और परसपुर ब्लॉक शामिल हैं.

इस अनूठी पहल से गोंडा में एक नई परंपरा की शुरुआत होगी, जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल होगी, बल्कि स्थानीय गौशालाओं को भी सशक्त बनाएगी. प्रशासन को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में यह प्रयोग पूरे प्रदेश में अपनाया जाएगा.

 

 

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