छत्तीसगढ़ में DMF घोटाला केस में जेल में बंद सूर्यकांत तिवारी को गुरुवार शाम को रिहा कर दिया गया है। सूर्यकांत ने करीब 3 साल बाद जमानत पर बाहर आते समय जेल के मुख्य गेट के सामने सिर झुकाया। इस दौरान ऐसा भाव प्रकट किया जैसे किसी के पैर छू रहा हो।
साथ ही जेल से बाहर निकले वक्त मुस्कराते हुए दिखा। सूर्यकांत सफेद शर्ट-पैंट और जैकेट पहने, हाथ में बैग लिए जेल से बाहर निकला। जेल के बाहर उसके दोस्त और रिश्तेदार इंतजार कर रहे थे। सभी से मुलाकात की और कार में बैठकर घर चला गया।
दरअसल, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से सूर्यकांत तिवारी को जमानत मिली है। सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी, शशांक मिश्रा और तुषार गिरि ने कोर्ट में पैरवी की थी। जमानत मिलने के बाद सूर्यकांत को कोर्ट की तय की गई सभी शर्तों का पालन करना होगा। सूर्यकांत ने 29 अक्टूबर 2022 को जस्टिस अजय सिंह राजपूत की अदालत में सरेंडर किया था।
सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने की सुनवाई
इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में हुई थी, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉय माल्या बागची शामिल थे। बेंच ने मई में दिए गए आदेश के तहत सूर्यकांत तिवारी की जमानत पर कुछ शर्तें लगाई। इसके अनुसार, तिवारी को छत्तीसगढ़ में तभी रहना होगा, जब जांच एजेंसियों या निचली अदालतों को उनकी जरूरत हो।
एक साथ 2 मामलों में सुनवाई कर रहा था सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट 2 मामलों की एक साथ सुनवाई कर रहा था। पहले मामले में, सूर्यकांत तिवारी ने DMF घोटाले में अंतरिम जमानत मांगी थी। दूसरा मामला कोयला लेवी घोटाले से जुड़ा था, जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार ने उनकी जमानत रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी।
जारी किए गए आदेश में कहा गया
कोर्ट ने कहा कि हमारा मानना है कि इस मामले में भी याचिकाकर्ता को इस समय अंतरिम ज़मानत पर रिहा किया जा सकता है। निष्पक्षता बनाए रखने के लिए हम फिलहाल दोनों पक्षों की दलीलों का उल्लेख नहीं कर रहे हैं, क्योंकि इस तरह के समग्र विचार को अंतिम सुनवाई के चरण तक टालना बेहतर है।
पढ़िए और क्या-क्या बोला सुप्रीम कोर्ट
कोयला लेवी घोटाले में सूर्यकांत तिवारी की जमानत रद्द करने की याचिका पर, अदालत ने कहा कि हमने याचिकाकर्ता सूर्यकांत तिवारी को अंतरिम जमानत देने के 29 मई 2025 के अपने आदेश को वापस लेने के लिए दिए गए आधारों पर विधिवत विचार किया है।
हालांकि, हमें इस समय वर्तमान आवेदन पर विचार करने का कोई ठोस कारण नहीं दिखता, इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है। साथ ही, अदालत ने अभियोजन पक्ष को यह स्वतंत्रता सुरक्षित रखी कि यदि रियायत के दुरुपयोग से संबंधित कोई तथ्य सामने आता है, तो वह तिवारी की अंतरिम जमानत रद्द करने की मांग कर सकता है।
क्या है DMF घोटाला
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक ED की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य निकल कर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गईं है।
टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया। ED के तथ्यों के मुताबिक टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर पैसे कमाए गए।
डिस्ट्रिक मिनरल फंड (DMF) घोटाला मामले में कलेक्टर को 40%, सीईओ 5%, एसडीओ 3% और सब इंजीनियर को 2% कमीशन मिला। DMF के वर्क प्रोजेक्ट में करप्शन के लिए फंड खर्च के नियमों को बदला गया था।
फंड खर्च के नए प्रावधानों में मटेरियल सप्लाई, ट्रेनिंग, कृषि उपकरण, खेल सामग्री और मेडिकल उपकरणों की कैटेगरी को जोड़ा गया था, ताकि संशोधित नियमों के सहारे DMF के तहत जरूरी डेवलपमेंट वर्क को दरकिनार कर अधिकतम कमीशन वाले प्रोजेक्ट को अप्रूव किया जा सके।
यह खुलासा कोरबा में 575 करोड़ रुपए से ज्यादा के हुए DMF स्कैम की जांच में हुआ है। इसकी पुष्टि रायपुर कोर्ट में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) द्वारा पेश किए गए 6 हजार पेज के चालान से हुई है।
25 से 40 प्रतिशत का कमीशन
ED की जांच से पता चला कि ठेकेदारों ने अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं को भारी मात्रा में कमीशन का भुगतान किया है, जो कि कांट्रैक्ट का 25% से 40% तक था। रिश्वत के लिए दी गई रकम की एंट्री विक्रेताओं ने आवासीय (अकोमोडेशन) के रूप में की थी।
एंट्री करने वाले और उनके संरक्षकों की तलाशी में कई आपत्तिजनक विवरण, कई फर्जी स्वामित्व इकाई और भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ है। तलाशी अभियान के दौरान 76.50 लाख कैश बरामद किया गया। वहीं 8 बैंक खाते सीज किए। इनमें 35 लाख रुपए हैं। इसके अलावा फर्जी डमी फर्मों से संबंधित विभिन्न स्टाम्प, अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए गए हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच कर रही ED
मनी लॉन्ड्रिंग की बात सामने आने के बाद ED जांच कर रही है। DMF वित्त पोषित एक ट्रस्ट है, जिसे छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में खनन से संबंधित परियोजनाओं और गतिविधियों से प्रभावित लोगों के लाभ के लिए काम करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है।
ED और EOW दोनों जांच कर रही हैं
DMF (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन) घोटाला मामले में ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो जांच रह रही है। दोनों की जांच में यह सामने आया है कि जिला खनिज निधि में भ्रष्टाचार हुआ है।
आरोप है कि, राज्य सरकार के अधिकारियों और राज नेताओं की मिलीभगत से DMF ठेकेदार ने सरकारी खजाने से रकम निकाली।
कई जगहों पर छापा मार चुकी है ED-EOW
- छत्तीसगढ़ में जांच एजेंसी ED ने पहले कोरबा, बिलासपुर, जांजगीर, सूरजपुर, बलरामपुर, बैकुंठपुर में छापेमारी की थी।
- बालोद के डौंडीनगर में पूर्व मंत्री अनिला भेंडिया के प्रतिनिधि पीयूष सोनी, बैकुंठपुर जनपद के CEO राधेश्याम मिर्झा और कोरबा के कांग्रेस नेता जेपी अग्रवाल के घर कार्रवाई की गई थी।
- छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र में ED की 4 जगह रेड की कार्रवाई की थी यहां से 1.11 करोड़ रुपए कैश, बैंक जमा और दस्तावेज सीज किए हैं।
ED ने 23.79 करोड़ की संपत्ति कुर्क की
छत्तीसगढ़ में DMF घोटाला केस में ED ने पूर्व में 23.79 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति कुर्क है। कुर्क की गई ये संपत्ति DMF घोटाले में आरोपी निलंबित IAS रानू साहू, माया वॉरियर, मनोज कुमार द्विवेदी समेत 10 लोगों की है।