सावन का महीना चल रहा है और सावन के महीने को शिवजी का महीना माना जाता है. इस महीने में भगवान भोलेनाथ की तरह-तरह से पूजा पाठ की जाती है. 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ता है. सावन का महीना सबसे पवित्र महीना माना गया है. देवशयनी एकादशी के बाद सावन का महीना शुरू होता है, जब भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं, और भगवान भोलेनाथ पर पूरे ब्रम्हांड का दायित्व रहता है.
दो ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का है बहुत महत्व
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, ”शास्त्रों के अनुसार 12 ज्योतिर्लिंगों स्वंयभू स्थापित हुए हैं. वैसे तो सावन महीने में 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए शिव भक्तों का हुजूम उमड़ता है और 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन का बहुत पुण्य लाभ मिलता है. लेकिन अगर आप 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं, तो दो ज्योतिर्लिंग ऐसे हैं जिनके दर्शन कर लेने मात्र से ही बहुत पुण्य लाभ मिलता है.” ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, ”12 ज्योतिर्लिंगों में उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है. दूसरा महत्व है झारखण्ड राज्य के देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ जी का है. वहां श्रावण महीने में लोग जल चढ़ाते हैं.”
सावन में महाकलेश्वर ज्योतिर्लिंग के करें दर्शन
ज्योतिष आचार्य कहते हैं, ”उज्जैन की बात करें तो सवान महीने में उज्जैन जाकर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन जरूर करें. मौका मिल जाए तो जल चढ़ाएं, मौका नहीं मिलता है तो वहां जाकर सुबह 4 से 6 के बीच में भस्म आरती के दर्शन करें. द्वितीय बेला 6 से लेकर 8 के बीच में उनके श्रृंगार का दर्शन करें, तीसरे प्रहर 9 से लेकर 12 बजे के बीच में उनके सभी रूपों का दर्शन करें. शाम के समय आरती का दर्शन करें. जो व्यक्ति इस तरह से चार बार महाकाल जी के दर्शन करता है तो 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के बराबर ही पूरा लाभ मिलता है. शास्त्रों में लिखा है कि बाबा महाकाल कालों के काल हैं, जो उनके दर्शन करता है, उनके हर कष्ट दूर होते हैं, शांति मिलती है, व्यक्ति का कल्याण होता है, पूरे परिवार का कल्याण होता है. सावन के महीने में महाकालेश्वर मंदिर में जाकर दर्शन करें. कुछ भी ना चढ़ाएं, पुष्प, फल, जल कुछ भी ना चढ़ाएं महज दर्शन मात्र कर लें तो पूरा पुण्य लाभ मिलता है.”