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बैंक कर्मचारियों और उनके बच्चों से न करें शादी… वायरल फतवे पर दारुल उलूम ने कहा- ये 8 साल पुराना है

यूपी में सहारनपुर जिले के देवबंद में विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम अपने फतवों को लेकर लगातार चर्चा में रहता है. इसका एक फतवा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें कहा गया है कि मुस्लिम युवक और महिला अगर बैंक कर्मचारी हैं तो कोई भी मुस्लिम उनके बच्चों से अपनी शादी न करे. इसको लेकर मौलाना कारी इसहाक गोरा का कहना है कि ये फतवा 8 साल पुराना है और सही है.

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इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम की ओर से कहा गया है कि चाहे बच्चे बैंक कर्मचारी हों या उनके बच्चे, बैंक से मुस्लिम कर्मचारियों को जो तनख्वाह मिलती है, वो ब्याज की होती है. इस पर फतवे के बारे जब टीवी9 भारतवर्ष ने मौलाना कारी इसहाक गोरा (देवबंदी आलिम और संरक्षक जमीयत दावतुल मुस्लिमीन) से बात की.

इसलिए बैंक कर्मियों से शादी नहीं करनी चाहिए

मौलाना कारी इसहाक गोरा का कहना है कि जो फतवा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, वो आठ साल पुराना है और सही है. शरीयत के अनुसार, बैंक में काम करने वाले मुस्लिम युवक हों या युवती, बैक में जो तनख्वाह उन्हें मिलती है वो सूदखोरी की होती है. शरीयत में ब्याज का पैसा खाना हराम है.इसलिए मुसलमानों को अपने बच्चों की शादी इन बैंक कर्मियों से नहीं करनी चाहिए. बैंककर्मी से अलावा जो लोग ब्याज या सूदखोरी का काम कर रहे हैं, ये हराम है.

लोकसभा चुनाव में जारी किया था ये फतवा

लोकसभा चुनाव-2024 से पहले भी देवबंद ने बड़ा ऐलान किया था. दारुल उलूम ने कहा था कि देश के नेताओं का इस्तकबाल (स्वागत) न करें. साथ ही दारुल उलूम का कोई भी जिम्मेदार शख्स किसी नेता के साथ दारुल उलूम के अंदर न तो मिलेगा और न फोटो खिंचवाएगा. जुलाई में भी दारुल उलूम ने एक फतवा जारी किया था.

इस फतवे मेंदारुल उलूम में पढ़ने वाले छात्रों से कहा गया था कि यहां रहते हुए इंग्लिश या कोई अन्य विषय पढ़ने की परमिशन नहीं है. अगर ऐसा पाया गया तो दोषी छात्रो को दारुल उलूम से निकाला जाएगा.

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