सरगुजा : गणेश चतुर्थी के दिन से भगवान गणेश की पूजा आराधना का 9 दिवसीय उत्सव आज से शुरू हो गया. भगवान गणेश के कई रूप आपने देखे होंगे. गणेश कभी विध्नहर्ता होते हैं तो कभी बाल गणेश के रूप में छोटे बच्चों में अतिप्रिय होते हैं. लेकिन भगवान गणेश एक महाविद्या के रूप में भी पूजे जाते हैं. दस महाविद्याओं में एक श्री विद्द्या के साधक भगवान गणेश को स्त्री रूप में भी पूजा जाता है.
भगवान गणेश के स्त्री रूप विनायकी का रहस्य: ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक शर्मा बताते हैं कि भगवान गणेश और राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी ललिता देवी का एक स्वरूप हैं जिसे विनायकी कहा जाता है. भगवान गणेश ने अपने इस अवतार में एक स्त्री रूप लिया था, जिसे विनायकी, गणेशानी, जैसे कई नामों से जाना जाता है. गणेश जी ने मां की रक्षा करने और अंधक नाम के दैत्य को मारने के लिए स्त्री रूप लिया. विनायकी के रूप में प्रकट होकर गणेश जी ने अंधक का वध किया और देवताओं की मदद की. इस तरह गणपति गणेशी शक्ति के रूप में स्थापित हुए.
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
गणेश के स्त्री रूप की इन जगहों पर होती है पूजा: पंडित दीपक शर्मा बताते हैं स्त्री रूप में गणेश जी की कुछ मूर्तियां राजस्थान, मध्य प्रदेश, और महाराष्ट्र के मंदिरों में हैं. मदुरै, तमिलनाडु में इनकी गणपति के रूप में पूजा की जाती है. इनके 12 हाथ होते हैं. गज का सिर लेकिन ललिता माता का स्त्री रूप का शरीर होता है. हाथ में चक्र, त्रिशूल, गदा, अंकुश, पाश, गन्ना, अनार, नील कमल, गुलाबी कमल, गेहूँ की बालियां होती हैं. जिससे इनके ललिता माता के स्वरूप का पता चलता है क्योंकि हाथ में गन्ना, अंकुश और पाश ललिता मां ही धारण करती हैं.”
विनायकी की पूजा से मिलता है धन धान्य और वैभव: श्री गणेश का यह स्वरूप बेहद फल देने वाला माना जाता है. जो भी भक्त श्री, वैभव धन धान्य चाहते हैं वो गणेश जी के इस स्वरूप की पूजा कर सकते हैं. इससे भगवान गणेश के साथ ही आपको ललिता माता की भी कृपा भी मिलती है.