नई दिल्ली: केंद्र ने शुक्रवार को कहा कि भारत में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:811 होने का अनुमान है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, देश में 13,86,157 पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टर हैं. आयुष मंत्रालय ने बताया है कि आयुष चिकित्सा पद्धति में 7,51,768 पंजीकृत चिकित्सक हैं.
उन्होंने कहा, “यह मानते हुए कि एलोपैथिक और आयुष दोनों प्रणालियों में 80 प्रतिशत पंजीकृत चिकित्सक उपलब्ध हैं, देश में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:811 होने का अनुमान है.”
पटेल राजद सांसद सुधाकर सिंह और भाजपा सांसद डॉ. राजेश मिश्रा द्वारा उठाए गए अतारांकित प्रश्न का जवाब दे रही थीं. मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने देश में चिकित्सा पेशेवरों की कमी को दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं.
उन्होंने कहा, “सरकार जिला और रेफरल अस्पतालों को उन्नत करके नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना लागू कर रही है, जिसके तहत 157 स्वीकृत मेडिकल कॉलेजों में से 131 नए मेडिकल कॉलेज कार्यरत हैं.”
पटेल ने कहा कि एमबीबीएस और पीजी सीटें बढ़ाने के लिए मौजूदा राज्य सरकार और केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों को मजबूत बनाने और अपग्रेड बनाने के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना भी अपनाई गई है.
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) में सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक/ट्रॉमा केयर सेंटर आदि के निर्माण द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेजों के अपग्रेडेशन से संबंधित एक घटक है.
मंत्री ने बताया कि इस घटक के अंतर्गत 75 परियोजनाओं में से 71 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं. दूसरा घटक नए एम्स की स्थापना से संबंधित है, जिसके लिए 22 एम्स को मंजूरी दी जा चुकी है.
उन्होंने आगे कहा कि ग्रामीण आबादी को समान स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए परिवार दत्तक ग्रहण कार्यक्रम (FAP) को एमबीबीएस पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है.
एफएपी में मेडिकल कॉलेजों द्वारा गांवों को गोद लेना और एमबीबीएस छात्रों द्वारा इन गांवों में रहने वाले परिवारों को गोद लेना शामिल है.
उन्होंने कहा इससे गोद लिए गए परिवारों का टीकाकरण, विकास निगरानी, मासिक धर्म स्वच्छता, आयरन और फोलिक एसिड (IFA) अनुपूरण, स्वस्थ जीवनशैली, पोषण, वेक्टर नियंत्रण और दवा पालन के लिए नियमित अनुवर्ती कार्रवाई संभव हो पाती है. इससे परिवारों को चल रहे सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बारे में शिक्षित करने में भी मदद मिलती है.
इसके अलावा, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) द्वारा अधिसूचित जिला रेजीडेंसी कार्यक्रम (DRP) पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में जिला अस्पतालों में पीजी मेडिकल छात्रों के लिए अनिवार्य तीन महीने की पोस्टिंग सह प्रशिक्षण का प्रावधान किया जाता है.
पटेल ने कहा कि डीआरपी ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा वितरण को मजबूत करके जनता को लाभान्वित करता है.