सिम्स अस्पताल के अस्थी रोग विभाग में लगातार घुटना और कूल्हे के जोड़ों का प्रत्यारोपण किया जा रहा है, जो आर्थिक रूप से कमजोर मरीज़ों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इसी कड़ी में एक 65 वर्षीय महिला का भी सफलता पूर्वक ऑपरेशन किया गया है।
बुजुर्ग महिला का दायां घुटना पूरी तरह से खराब हो चुका था और चलना-फिरना बंद हो चुका था। सर्जरी कर उसकी समस्या को दूर करते हुए चलने लायक बनाने का काम सिम्स के चिकित्सकों ने किया है। जिसके बाद महिला के लिए जीवन एक बार फिर आसान हो गया है।
शहर में रहने वाले एक 65 वर्षीय महिला मीरा (बदला हुआ नाम) अपने घुटनों की दर्द और चलने में असमर्थता को लेकर सिम्स में इलाज कराने के लिए पहुंची। यहां आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट में जांच के लिए भेजा गया। इस दौरान डॉ. तरूण सिंह ठाकुर ने मरीज की जांच की और एक्स-रे कराने को कहा। एक्स-रे में पाया गया कि मरीज का दायां घुटना पूरी तरह से खराब हो चुका है। इसका एकमात्र इलाज घुटने का प्रत्यारोपण है।
इसके बाद डॉ. तरुण ने प्रत्यारोपण के लिए डॉ. एआर बेन से सलाह ली। मरीज की फिटनेस जांच में जब सभी रिपोर्ट ओके मिला, तो उसकी सर्जरी बीते 29 जून को की गई, जो पूरी तरह से सफल रहा। अब मीरा की समस्या खत्म हो चुकी है और वे पूरी तरह से दर्द मुक्त हो चुकी है। साथ ही चलने फिरने में सक्षम हो गई है।
बता दें कि बिलासपुर स्थित सिम्स में अनुभवी डॉक्टर मरीजों की मदद कर करे हैं। दो वर्षों में अब तक सिम्स में 27 कूल्हा प्रत्यारोपण और 20 घुटना प्रत्यारोपण किया गया है। ये सभी सर्जरी आयुष्मान भारत योजना के तहत किया गया है।
यह थी जटिलता
डाक्टरों के मुताबिक सर्जरी के पहले काफी जटिलता का सामना करना पड़ा, क्योंकि मरीज का शुगर अनियंत्रित हो चुका था। हाई बीपी की परेशानी का सामना भी महिला मरीज कर रही थी। उसकी सर्जरी करने में काफी खतरा था। ऐसे में सबसे पहले डाक्टरों ने बीपी, शुगर नियंत्रण करने का काम किया और सही समय का इंतजार करते रहे। जब सभी चीज सामान्य हो गई तब सर्जरी की गई।
सर्जरी में आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. एआर बेन, सहायक प्राध्यापक डॉ. तरूण सिंह ठाकुर, डॉ. रवि महोबिया, डॉ. सोमेश शुक्ला, डॉ. सागर कुमार और पीजी रेसिडेंट शामिल थे। एनेस्थिसिया टीम में विभागाध्यक्ष डॉ. मधुमिता मूर्ति, डॉ. मिल्टन, डॉ. श्वेता, डॉ. भावना का सहयोग रहा। वहीं इम्प्लांट उपलब्ध करने मे डीन डॉ. रमणेश मूर्ति, एमएस डॉ. लखन सिंह का विशेष योगदान रहा।