दिल्ली में डॉक्टरों ने भारत में पहली बार एक ही समय में दो सफल सर्जरी की है. डॉक्टरों ने हार्ट बायपास सर्जरी (कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्टिंग) और ब्रेस्ट कैंसर सर्जरी (रेडिकल मेस्टेक्टॅमी) को ही एक ही सेशन में किया गया. रोबोट-एसिस्टेड कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्टिंग (सीएबीजी) के बाद कैंसर ग्रस्त ब्रेस्ट और आसपास की सेल्स को निकाला गया. सर्जरी करीब 11 घंटे चली और मरीज को 12 दिनों के बाद, अस्पताल से छुट्टी दी गई.
बांग्लादेश की 72-वर्षीय बुजुर्ग महिला की यह सर्जरी सफल रही. फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल, ओखला के डॉक्टरों ने यह सर्जरी की है. इस महिला मरीज को सांस लेने में तकलीफ थी, और वह काफी थकान भी महसूस कर रही थीं. महिला के दाहिने स्तन पर एक बड़े आकार का घाव भी था जिसमें संक्रमण फैल चुका था. मेडिकल जांच से पता चला कि महिला के हार्ट की तीन आर्टरीज भी ब्लॉक हैं. इसकी वजह से हार्ट फेल हो सकता था. महिला 3 स्टेज के ब्रेस्ट कैंसर से भी ग्रस्त थीं. इसे देखते हुए, मेडिकल टीम ने तत्काल दो सर्जरी करने का फैसला किया. पहले, कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्टिंग की और साथ में ब्रेस्ट कैंसर के ट्यूमर को भी हटा दिया.
यह इस तरह की देश में पहली सर्जरी
डॉ ऋत्विक राज भुयान, डायरेक्टर, एडल्ट कार्डियोथोरेसिक एंड वास्क्युलर सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्ली ने कहा कि यह केवल सर्जिकल सफलता का ही मामला नहीं था, बल्कि इस बात का भी उदाहरण है कि किस प्रकार मल्टी-डिसीप्लीनरी टीम का आपस में सहयोगी रवैया और मरीज के प्रति दयाभाव से क्या कुछ नहीं हासिल किया जा सकता. मरीज की कमजोर कंडीशन के बावजूद हाइ-रिस्क कार्डियाक बायपास सर्जरी अपने आप में किसी चुनौती से कम नहीं थी, लेकिन इस मामले में पहली सर्जरी के तुरंत बाद उसी सेशन में कैंसर सर्जरी करने से जटिलता बढ़ गई थी. यह इस तरह का भारत में पहला मामला है.
महिला को कुछ ही दिनों में मिल गई छुट्टी
डॉ अर्चित पंडित, डायरेक्टर, सर्जिकल ओंकोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्ली ने कहा कि मरीज का स्तन कैंसर काफी गंभीर स्टेज का था, ट्यूमर की वजह से त्वचा पर भी घाव फैलने लगा था और लगातार ब्लीडिंग हो रही थी, जिसकी वजह से जान को खतरा था. लेकिन उनकी हार्ट कंडीशन ऐसी थी कि स्टैंडएलोन कैंसर सर्जरी करना नामुमकिन था, इसके मद्देनज़र हमने दुर्लभ किस्म की डुअल सर्जरी करने का फैसला किया. मरीज की बायपास सर्जरी के बाद, हमने बिना कोई देरी किए, मोडीफाइड रेडिकल मैस्टैक्टॅमी की. सर्जरी सफल रही और मरीज को अस्पताल से स्थिर हालत में छुट्टी दे दी गई.