बरसात में बढ़े डॉग बाइट के मामले, 48 घंटे में 40 लोग बने शिकार

बरसात की शुरुआत के साथ ही बिलासपुर शहर में डॉग बाइट(Dog Attack) यानी कुत्ते के काटने के मामलों में अचानक वृद्धि देखी जा रही है। बीते रविवार और सोमवार, यानी महज 48 घंटे के भीतर, शहरी क्षेत्रों में 40 लोग इन आवारा कुत्तों का शिकार बने हैं।

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जिला अस्पताल और सिम्स प्रबंधन के अनुसार, जिलेभर में प्रतिदिन 80 से 100 के बीच डाग बाइट के मामले दर्ज किए जा रहे हैं। अस्पतालों के अनुसार, यह संख्या लगातार बढ़ रही है और सबसे अधिक प्रभावित मरीज अब ओपीडी में पहुंच रहे हैं।

आखिर क्यों बढ़ रहे हैं डॉग बाइट (Dog Attack) के मामले?

विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश के समय कुत्तों को न तो पर्याप्त भोजन मिल पाता है और न ही रहने की सुरक्षित जगह। ऊपर से यह फीडिंग सीजन भी होता है, जिसके चलते कुत्ते अधिक आक्रामक हो जाते हैं और लोगों पर हमला कर बैठते हैं। इसी वजह से इन दिनों जिला अस्पताल, सिम्स और अन्य सामुदायिक केंद्रों में डॉग बाइट पीड़ितों के उपचार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही रैबीज वैक्सीन की मांग सीजीएमएससी से की गई है।
वैक्सीन स्टॉक पर संकट
डॉग बाइट के मामलों में वृद्धि के साथ ही एंटी रैबीज वैक्सीन की खपत भी बढ़ गई है। जबकि फिलहाल अस्पतालों में इनका स्टॉक सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है।
सिम्स और जिला अस्पताल प्रशासन का कहना है कि नया स्टॉक अप्रैल में मिलने की संभावना है, लेकिन अगर कुत्तों का हमला यूं ही जारी रहा तो अगले कुछ ही दिनों में वैक्सीन की भारी कमी हो सकती है। बीते वर्ष भी वैक्सीन की ऐसी ही किल्लत का सामना करना पड़ा था। इस स्थिति को देखते हुए सीजीएमएससी को स्टॉक की स्थिति की जानकारी दी गई है और तत्काल आपूर्ति की मांग की गई है।

निगम की कार्रवाई नाकाफी

नगर निगम समय-समय पर कुत्तों को पकड़ने और नसबंदी कराने की कार्रवाई करता है, लेकिन इसका असर बहुत कम देखने को मिल रहा है। निगम के अनुसार, इस समय शहर में करीब 10,000 आवारा कुत्ते सक्रिय हैं। पकड़े गए कुत्ते कुछ ही दिनों में वापस उसी इलाके में लौट आते हैं। नसबंदी कार्यक्रम से भी इनकी संख्या में कोई खास नियंत्रण नहीं हो पाया है।

पशु प्रेम भी बना कारण

शहर में बड़ी संख्या में ऐसे पशु प्रेमी हैं जो रोजाना आवारा कुत्तों को रोटी, बिस्किट आदि खिलाते हैं। इससे एक तरफ तो कुत्तों की भूख कुछ हद तक शांत होती है, लेकिन दूसरी ओर ये झुंड में रहने लगते हैं और जब भोजन नहीं मिलता तो आक्रामक हो जाते हैं। संख्या बढ़ने और झुंड बनने की इस प्रवृत्ति ने डाग बाइट के मामलों को और बढ़ा दिया है। स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम ने नागरिकों से सतर्क रहने और सावधानी बरतने की अपील की है।
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