घरेलू हिंसा अधिनियम: सुरक्षा अधिकारियों की होगी नियुक्ति, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को दिए सख्त निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को घरेलू हिंसा अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में कदम उठाने के निर्देश जारी किए हैं, जिसमें पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए जिला और तालुका स्तर पर सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति करना शामिल है. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा, हम सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देते हैं कि वो जिला और तालुका स्तर पर महिला एवं बाल विकास विभाग में अधिकारियों की पहचान करें. उन्हें सुरक्षा अधिकारी के रूप में नामित करें. सुरक्षा अधिकारी अधिनियम की धारा-9 के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे.

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कोर्ट ने कहा, हम राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और राज्यों के महिला एवं बाल/समाज कल्याण विभागों के सचिवों को अधिनियम के तहत अधिकारियों को संरक्षण अधिकारी के रूप में नामित करने के लिए समन्वय करने और सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं. वो अधिनियम के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने, अधिनियम के तहत सेवाओं के प्रभावी समन्वय को सुनिश्चित करने और इसके प्रावधानों को लागू करने के लिए मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार करके धारा 11 के तहत अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए कदम उठाएंगे.

यह कदम छह सप्ताह के भीतर पूरा किया जाएगा

बेंच ने कहा कि यह कदम आज से छह सप्ताह के भीतर उन क्षेत्रों में पूरा किया जाएगा, जहां संरक्षण अधिकारी नामित नहीं किए गए हैं. राज्य संकटग्रस्त महिलाओं के लिए सेवा प्रदाताओं, सहायता समूहों और आश्रय गृहों की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे. प्रतिवादी राज्य इस उद्देश्य के लिए आश्रय गृहों की पहचान भी करेंगे.चूंकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं, इसलिए हम इस संबंध में इस समय कोई विशेष निर्देश जारी करना आवश्यक नहीं समझते.

सदस्य सचिवों को इस अधिकार के बारे में बताएं

कोर्ट ने कहा कि हम आगे भी निर्देश दे सकते हैं लेकिन हम देखते हैं कि धारा 11 केंद्र सरकार पर भी दायित्व डालती है. हम केंद्र सरकार को अधिनियम की धारा 11 के क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त कदम उठाने का निर्देश देते हैं. हम देखते हैं कि विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम की धारा-13 के साथ धारा-9-डी एक महिला को मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार देती है. इस वैधानिक आदेश के मद्देनजर, हम नालसा के सदस्य सचिव को निर्देश देते हैं कि वे राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के सदस्य सचिवों को निर्देश दें कि वे जिला और तालुका स्तर पर सदस्य सचिवों को इस अधिकार के बारे में बताएं.

कहने की जरूरत नहीं है

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी सदस्य सचिव यह सुनिश्चित करेंगे कि महिलाओं को घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मुफ्त कानूनी सहायता और सलाह के उनके अधिकार के बारे में जानकारी दी जाए. वो इन प्रावधानों का पर्याप्त प्रचार भी करेंगे. कहने की जरूरत नहीं है कि अगर कोई महिला कानूनी सहायता या सलाह के लिए संपर्क करती है, तो उसे शीघ्रता से सहायता प्रदान की जाएगी, क्योंकि अधिनियम प्रत्येक महिला को मुफ्त कानूनी सहायता के अधिकार की गारंटी देता है.

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