टेलीकॉम इंडस्ट्री में जियो और एयरटेल के वर्चस्व को तोड़ने के लिए सरकार एक बड़ी तैयारी कर रही है. सरकार एक लाख करोड़ रुपए का ऐसा मास्टर तैयार करने में जुटी है, जिसका सबसे ज्यादा फायदा वोडाफोन आइडिया को होने की उम्मीद है. जानकारी के अनुसार सरकार टेलीकॉम सेक्टर को लेकर कुछ प्लान प्लान कर रही है. सरकार एजीआर बकाए पर टेलीकॉम कंपनियों को राहत देने का मूड बना रही है. करीब 5 साल पहले आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद टेलीकॉम कंपनियों पर सरकार का काफी बकाया है. जिसमें एक बड़ी हिस्सेदारी जुर्माने और उसपर लगने वाले ब्श्याज की है.
जानकारी के अनुसार सरकार ब्याज में 50 फीसदी की छूट और जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज को पूरी तरह से माफ करने की प्लानिंग कर रही है. हाई लेवल पर काफी तैयारी चल रही है. सूत्रों का कहना है कि बजट में इस पर ऐलान हो सकता है. खास बात तो ये है कि अगर ये लागू हो जाता है तो इससे वोडाफोन आइडिया को काफी राहत मिलेगी. साथ जियो और एयरटेल के दबदबे को तोड़ने में भी काफी मदद मिल सकती है.
किस कंपनी को कितनी राहत
सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इस प्रपोजल को हरी झंडी मिलती है तो टेलीकॉम कंपनियों को एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राहत मिलती हुई दिखाई दे सकती है. जिसमें सबसे ज्यादा फायदा वोडाफोन आइडिया को हो सकता है. जानकारी के अनुसार अगर ये फैसला हो जाता है तो वोडाफोन आइडिया को 52 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राहत मिल सकती है, जो कि एजीआर बकाए के रूप में होगी.
देश की सबसे बड़ी लिस्टेड टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल पर काफी बकाया है, लेकिन फाइनेंशियली काफी स्ट्रांग है. इस फैसले के बाद एयरटेल को 38 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राहत मिलती हुई दिखाई दे सकती है. रिटेल सर्विसेज बंद कर चुकी टाटा टेलीसर्विसेज को 14,000 करोड़ रुपए का फायदा होगा. वहीं दूसरी ओर रिलायंस जियो पर कोई एजीआर बकाया नहीं है.
बजट में हो सकता है ऐलान
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस प्रपोजल पर हाई लेवल मीटिंग्स चल रही हैं. जिसमें फाइनेंस मिनिस्ट्री के साथ टेलीकॉम डिपार्टमेंट और कैबिनेट सेकेट्रेट शामिल हैं. सरकार चाहती हैं कि इस पर बजट में एक जनवरी को ऐलान हो जाए. जियो साल 2016 में लॉन्च हुआ था. उसके बाद से पूरी टेलीकॉम इंडस्ट्री गलाकाट कंप्टीशन से जूझ रही है. उसके बाद साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार का साथ देते हुए 1.47 लाख करोड़ का एजीआर बकाया चुकाने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को बोला था. जिसमें 92,642 करोड़ रुपए लाइनेंस चार्ज और 55,054 करोड़ रुपए स्पेक्ट्रम यूजर चार्ज शामिल थे.