अमेरिका चुनाव के नतीजों से यह साफ हो गया है कि यूनाइटेड स्टेट्स में एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप की सरकार बनने जा रही है. वोटों की गिनती में ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन ने बहुमत का आंकड़ा छू लिया है. वहीं डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में पीछे रह गई हैं. सबसे खास बात है कि इस बार ट्रंप को मुस्लिम वोटर्स का भी समर्थन मिला है. खुद मिशिगन राज्य में ट्रंप ने कमला हैरिस को हरा दिया है जबकि वहां मुस्लिम वोटर्स की अच्छी संख्या होने की वजह से हमेशा डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बाजी मारते आए हैं. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ और मुस्लिम वोटरों का झुकाव ट्रंप की ओर देखने को मिला.
मुस्लिमों का ट्रंप को अच्छा समर्थन मिलना डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए किसी झटके से कम नहीं है. आमतौर पर अमेरिका में मुस्लिमों का समर्थन इसी पार्टी को रहा है. वहीं रिपब्लिकन को हमेशा मुस्लिमों के खिलाफ फैसला लेने वाली पार्टी कहा जाता रहा है. लेकिन अभी इजरायल- गाजा युद्ध की वजह से जो विश्व में हालात हैं, उससे ट्रंप को फायदा मिलता हुआ नजर आ रहा है. ट्रंप ने चुनाव जीतकर अपनी पहली स्पीच में ही मिडिल ईस्ट में शांति स्थापित करने की बात एक बार फिर कही है. वह लगातार युद्ध को रुकवाने की बात कर रहे हैं जो कहीं न कहीं मुस्लिमों को अच्छी लग रही है.
जबकि ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में कई मुस्लिम देशों पर ट्रैवल बैन लगा दिया था.ट्रंप की सरकार जाने के बाद जब जो बाइडन सत्ता में आए तो उन्होंने यह बैन हटाया. ट्रंप इस बार भी अपनी रैलियों में ट्रैवल बैन लगाने की लगातार बात करते रहे हैं. इसके बाद भी मिशिगन राज्य में ट्रंप को मिला सपोर्ट डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए चौंकाने वाला जरूर है.
खेल कर गया मिडिल ईस्ट में शांति लाने का ट्रंप का वादा
हाल ही में मिशिगन में जब ट्रंप ने रैली की तो उसमें कुछ मुस्लिम नेताओं को भी आमंत्रित किया था. रैली के दौरान ट्रंप ने कहा भी था कि अरब अमेरिकी और मुस्लिम वोटर्स इजरायल और गाजा में अमेरिका की विदेश नीति को लेकर निराश हैं. ट्रंप ने मिशिगन के डियरबोर्न शहर में कहा था कि यहां रहने वाले अरब मुस्लिम वोटर्स इस चुनाव को एक तरफ से दूसरी तरफ कर सकते हैं. आपको बता दें कि जिस शहर में ट्रंप ने यह बात कही, वह पिछले साल ही अमेरिका का मुस्लिम बहुल आबादी वाला शहर बना था. जहां करीब 55 फीसदी आबादी मुस्लिम है जो मध्य-पूर्व या उत्तरी अफ्रीका से हैं.
मिशिगन की रैली में ही अपने मंच से इमाम बेलाल अल्ज़ुहाइरी को वहां के मुस्लिमों का प्रमुख नेता बताया. वहीं अल्जुहाइरी ने मंच से लोगों को संबोधित करते हुए डोनाल्ड ट्रंप को शांति का समर्थक बताया. उन्होंने कहा कि मुस्लिम वोटर्स इस बार ट्रंप के साथ हैं. ट्रंप ने युद्ध नहीं बल्कि शांति स्थापित करने का वादा किया. उन्होंने आगे कहा कि हम सभी मुस्लिम ट्रंप के साथ हैं क्योंकि उन्होंने मिडिल ईस्ट और यूक्रेन में जंग खत्म कराने का वादा किया है.
दरअसल, गाजा में हमास और इजरायल के बीच संघर्ष जारी है. बाइडन सरकार ने इजरायल का शुरू से ही मजबूती के साथ समर्थन किया. यही वजह भी रही कि मुस्लिम वोटर्स, खासतौर पर अरब और फिलिस्तीनी मूल के लोग बाइडन सरकार से नाराज रहे. उन लोगों का मानना था कि बाइडन प्रशासन ने फिलीस्तीनियों के मानवीय संकट की अनदेखी की है. दूसरी तरफ मौके का फायदा उठाते हुए ट्रंप ने भी अपनी रैलियों के माध्यम से मिडिल ईस्ट में युद्ध को खत्म करवा कर शांति लाने का लगातार वादा किया.
कुछ दिनों पहले ट्रंप ने मिशिगन की रैली में कहा था कि मिशिगन के साथ-साथ पूरे देश के मुस्लिम और अरब मतदाता मिडिल ईस्ट में जारी अंतहीन युद्ध का खात्मा चाहते हैं. सभी लोगों की चाहत है कि इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता लौटे.
राष्ट्रपति चुनाव से एक दिन पहले ट्रंप ने एक्स पर कहा, “हम अमेरिकी राजनीतिक इतिहास में सबसे बड़ा गठबंधन बना रहे हैं. इसमें मिशिगन में अरब और मुस्लिम मतदाताओं की रिकॉर्ड-तोड़ संख्या शामिल है, जो शांति चाहते हैं. वे जानते हैं कि कमला और उनका युद्ध का समर्थन करने वाला मंत्रिमंडल मिडिल ईस्ट पर आक्रमण करेगा, लाखों मुसलमानों को मार डालेगा और तीसरा विश्व युद्ध शुरू करेगा. ट्रंप को वोट दें और शांति वापस लाएं.”
सबसे खास बात है कि डोनाल्ड ट्रंप का रूढ़िवादी रुख भी मुस्लिमों को प्रभावित कर रहा है. सार्वजनिक स्कूलों में LGBTQ सामग्री को शामिल करने जैसी प्रगतिशील सामाजिक नीतियों पर काफी मुस्लिम खुश नहीं थे. ऐसे में उन्हें
पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों के साथ ट्रंप का जुड़ाव और रूढ़िवादी मान्यताओं की रक्षा करने का वादा आकर्षित कर रहा है.
मुस्लिम देशों पर ट्रैवल बैन के वादे के बावजूद ट्रंप की ओर मुसलमान
साल 2017 में जब डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की सत्ता संभाली तो उन्होंने पहले महीने में ही मुस्लिम बहुल देश इराक, सीरिया, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन के लोगों के अमेरिका आने पर पाबंदी लगाने का ऐलान कर दिया था. इसके साथ ही तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने सीरियाई शरणार्थियों के आने पर भी अनिश्चितकालीन पाबंदी लगा दी थी. वहीं अन्य सभी शरणार्थियों के आने पर चार महीने की पाबंदी लगा दी थी.
ऐसे में अब इस चुनाव में भी डोनाल्ड ट्रंप बेशक मुस्लिमों को लुभाने की कोशिश की हो लेकिन अपनी रैलियों में उन्होंने लगातार यह बात दोहराई कि अगर वह दोबारा राष्ट्रपति बने तो कुछ मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमेरिका आने पर एक बार फिर पाबंदी लगा देंगे.
पिछले साल 28 अक्टूबर को भी रिपब्लिकन यहूदी समिट को संबोधित करते हुए कहा था कि दोबारा सत्ता में आते ही ट्रैवल बैन फिर से लागू करेंगे. उन्होंने कहा था कि हमारे पास ट्रैवल बैन इसलिए है क्योंकि हम उन देशों के नागरिकों को नहीं चाहते हैं जो हमारे देश को नष्ट करना चाहते हैं. ट्रंप ने कहा था कि उनके चार साल के शासन काल में एक भी घटना नहीं हुई क्योंकि वैसे लोगों को देश में आने ही नहीं दिया.
अमेरिका में मुसलमानों को कहां नाराज कर बैठे बाइडन?
हमास और इजरायल का युद्ध जब से ज्यादा बढ़ा तब से ही अमेरिका ने लगातार इजरायल की सहायता की. यहां तक कि डेमोक्रेटिक पार्टी को मुस्लिम समुदाय का हमेशा समर्थन रहा, उसके बावजूद बाइडेन प्रशासन ने युद्ध के लिए इजरायल की लगातार सैन्य मदद की है. इसी वजह से अरब अमेरिकी और अन्य मुस्लिम मतदाताओं में नाराजगी देखने को मिली है.
इसी नाराजगी का फायदा ट्रंप ने भी उठाने की कोशिश की है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि मुस्लिम वोटर्स सिर्फ बाइडन ही नहीं बल्कि कमला हैरिस से भी निराश हैं. कमला हैरिस फिलीस्तीनी समर्थकों और युद्ध विरोधी कार्यकर्ताओं के निशाने पर रही हैं. इसी वजह से लोगों में यह भी सवाल रहा कि मिडिल ईस्ट में बाइडन प्रशासन की जो नीतियां हैं, उनसे उनकी नीति कैसे अलग होगी?
दूसरी ओर डोनाल़्ड ट्रंप चाहे कितने भी इस्लाम की आलोचना करने वाले बयान आजतक दे चुके हों लेकिन वह यह वादा जरूर कर रहे हैं कि अगर अमेरिका का राष्ट्रपति बने तो युद्ध को बंद करवा देंगे. उनके इस वादे के पक्ष में यह भी कहा जा रहा है कि ट्रंप जब तक राष्ट्रपति रहे, तब कोई नया युद्ध नहीं होने दिया. इसी वजह से चुनाव में ट्रंप ने मुस्लिम मतदाताओं के सामने खुद को अच्छे विकल्प के रूप में पेश किया है.
नवंबर साल 2016 में भी ट्रंप ने कहा था कि वह इजरायल और फिलिस्तीन में शांति स्थापित करना चाहते हैं. काफी लोग कहते हैं कि ऐसा कभी नहीं होगा लेकिन मैं हमेशा इस बात को मानता हूं कि शांति को स्थापित किया जा सकता है.
ट्रंप की लगातार शांति स्थापित करने की बात ही उनकी एंटी मुस्लिम छवि को काफी पीछे छोड़ दे रही है. अधिकतर मुस्लिम मतदाताओं को अब यह लग रहा है कि बाइडन प्रशासन ने युद्ध रुकवाने के लिए कुछ नहीं किया, इसके उलट इजरायल की मदद और की.
जबकि ट्रंप चाहे ट्रैवल बैन की बात कर रहे हों या कुछ और लेकिन मुस्लिम वोटर्स को मिडिल ईस्ट में शांति स्थापित करने की बात जरूर समझ आ रही है. यही वजह है कि इस चुनाव में ट्रंप के लिए मुस्लिमों ने अपने दिल के दरवाजे खोल दिए हैं.