डोंगरगढ़: बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट में क्षेत्र के कई अस्पताल और क्लीनिक हो सकते हैं फेल, क्या है आखिर यह व्यवस्था?

डोंगरगढ़ में संचालित होने वाले सभी अस्पतालों एवं क्लीनिक में बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के लिए एक अलग विधि का उपयोग किया जाता है, जिसके संबंध में समय समय पर शासन प्रशासन स्तर पर लिखित आदेश जारी होते रहते हैं. वही इस बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट में मुख्य रूप से दो अलग अलग पीट बनकर उसमें कचड़ों का निष्पादन करने की गाइडलाइंस है,जिसमें से एक पीट को डीप पीट और एक को शार्प पीट कहा जाता है.

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इस बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की परिकल्पना के पीछे मुख्य उद्देश्य इसे मानव व मवेशियों के संपर्क में आने से दूर रखना है जिससे कि इससे फैलने वाले संक्रमणों से बचा जा सके. परंतु क्या धरातल पर इसकी स्थिति ऐसी है क्या ये पीट सभी मेडिकल सेवाएं देने वाले स्थानों पर उपलब्ध हैं. अगर हम इसका जवाब तलाशे तो मिलेगा ऐसा नहीं हो रहा. फिर कारण यह उठता है कि आखिर ऐसा क्यों नहीं हो पा रहा तो जनाब जिम्मेदार इसके विरुद्ध कार्यवाही करे तो निःसंदेह इस ओर परिणाम सकारात्मक मिलेंगे. परंतु न तो जिम्मेदार अस्पतालों और क्लीनिक संचालन के लिए जारी गाइडलाइंस को कभी चेक करने के लिए औचक निरीक्षण करने की जहमत उठाते हैं और न ही कभी गहन निंद्रा से उठ कर कार्यवाही करते नजर आते हैं.

जिसका परिणाम कभी बिना पार्किंग के संचालित होने वाले मेडिकल सेवाओं के सामने सड़क जाम तो कभी खुले में फेंके मेडिकल वेस्ट खाने से मवेशियों के स्वास्थ खराब होने पर पड़ता है. वही ग्रामीण क्षेत्रों में तो हाल और बद से बदतर है जहां खुद को भगवान तुल्य मनवाने वाले तथाकथित क्लिक में भर्ती कर ड्रिप से लेकर गोली दवाई भी स्वयं ही बेच देते हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित होने वाले शासकीय अस्पतालों को इसका दंश झेलना पड़ता है. जब केस बिगड़ने के बाद वे लोग मरीज को अस्पताल भेज देते हैं. ऐसे में चाहिए कि जिम्मेदार मेडिकल सेवाओं के नाम पर इन मुद्दों की जांच कर इन गंभीर सुविधाओं के न होने पर कार्यवाही करे जिससे मेडिकल क्षेत्र में सुविधाओं का सकारात्मक विकास हो सके.

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