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डोंगरगढ़: एक विवाह ऐसा भी, बिना गठबंधन के ही हो गया जोड़ों का विवाह संपन्न

केंद्र और राज्य सरकारें समाज के हर वर्ग को मुख्यधारा में शामिल करने और उनकी बेहतरी के लिए योजनाएं चलाती हैं। लेकिन इन योजनाओं को धरातल पर लाने की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों और कर्मचारियों पर होती है, कई बार उनकी लापरवाही या अनियमितताओं से ये योजनाएं अपना मूल उद्देश्य खो देती हैं.

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ताजा मामला राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ ब्लॉक के कोठी टोला से सामने आया है. यहां महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत 6 जोड़ों का सामूहिक विवाह आयोजित किया गया. लेकिन इस विवाह आयोजन में हिंदू रीति-रिवाजों को ताक पर रखकर अनियमितताएं सामने आईं.

गठबंधन के बिना कराए गए फेरे 

इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शामिल पंडित पवन कुमार यादव ने बिना गठबंधन कराए जोड़ों से फेरे और विवाह की बाकी प्रक्रिया पूरी करवा दी. पंडित यादव ने खुद को एक प्रतिष्ठित संस्था से जुड़ा बताया, लेकिन उनकी इस हरकत ने पूरे आयोजन पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

दूल्हा महाराष्ट्र का निवासी 

कार्यक्रम में शामिल एक दूल्हे ने खुद को कट्टीपार, महाराष्ट्र का निवासी बताया. सवाल यह है कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, जो प्रदेश के पात्र लोगों के लिए है, उसमें महाराष्ट्र के निवासी की मौजूदगी कैसे हुई?

 

चेक वितरण में भी गड़बड़ी

सामूहिक विवाह के तहत विवाह करने वाले जोड़ों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता दी जाती है. लेकिन इस आयोजन में शामिल 6 में से 4 जोड़ों ने 21,000 रुपये का चेक मिलने की बात कही, जबकि 2 जोड़ों ने 35,000 रुपये का चेक मिलने की बात बताई. यह स्पष्ट करता है कि योजना के तहत दी जाने वाली राशि में भी गड़बड़ी हुई है.

जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी

मामले की गंभीरता को देखते हुए जब मीडिया ने महिला एवं बाल विकास अधिकारी, डोंगरगढ़ से संपर्क किया, तो उन्होंने ऑन-कैमरा जवाब देने से मना कर दिया. उनकी चुप्पी ने इस पूरे आयोजन में पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.

सवालों के घेरे में अधिकारी और कर्मचारी

यह मामला शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं को धरातल पर लाने में अधिकारियों की लापरवाही को उजागर करता है. बिना नियमों का पालन किए हुए इस प्रकार का आयोजन, जिम्मेदारों की अनदेखी और लाभार्थियों तक सहायता पहुंचाने में असमानता शासन-प्रशासन की छवि को धूमिल करती है

 

सरकारी योजनाओं को धरातल पर मटियामेट करने में लगे इन अधिकारियों और कर्मचारियों पर कब तक कार्रवाई होगी, यह सवाल उठता है. ऐसे मामलों की गंभीरता को देखते हुए यह जरूरी हो जाता है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं ताकि जनता का भरोसा शासन पर कायम रहे.

 

Senior crime reporter

Shashank Upadhyay

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