मणिपुर में जातीय संघर्ष को समाप्त करने के लिए मणिपुर और मिजोरम के सांसद आपस में भिड़ गए. बात इतनी बढ़ गई कि मणिपुर के सांसद ने लाइन क्रॉस न करने की बात तक कह डाली. दरअसल, हुआ ये कि मिजोरम के सांसद के. वनलालवेना ने मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच चल रही जातीय संघर्ष को खत्म करने के लिए अलग प्रशासन की वकालत की. इस पर मणिपुर के सांसद बिफर गए.
मणिपुर से राज्यसभा सांसद लीशेम्बा सनाजाओबा ने उन्हें (मिजोरम के सासंद) लाइन क्रॉस नहीं करनी चाहिए और हस्तक्षेप बंद करना चाहिए. सनाजाओबा ने ट्वीट कर कहा, मेरे दोस्त, आप लाइन क्रॉस मत करें…राज्य के मुद्दों तक ही सीमित रहें. मणिपुर के मुद्दों में हस्तक्षेप बंद करें और एक अच्छे पड़ोसी बनें. मीजो नेशनल फ्रंट के नेता (MNF) वनलालवेना ने बीरेन सरकार को तत्काल हटाने की मांग की.
मणिपुर में मई से लेकर अब तक 250 से ज्यादा मौतें
इसके साथ ही उन्होंने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की. मिजोरम के सांसद ने कहा कि पिछले एक साल से अधिक समय से मणिपुर में हिंसा हो रही है. पिछले साल मई से लेकर अब तक इस हिंसा में 250 से ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं. वनलालवेना ने मणिपुर में जातीय हिंसा को समाप्त करने के लिए दो स्तरीय समाधान की वकालत की.
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाना बहुत जरूरी- मिजोरम MP
उन्होंने कहा कि तत्काल समाधान के लिए राष्ट्रपति शासन लगाना बहुत जरूरी है. इसके अलावा केंद्र सरकार को स्थिति का गहन अध्ययन करना चाहिए और मैतेई और आदिवासी समुदायों दोनों के कब्जे वाली भूमि का सीमांकन करना चाहिए. जिससे पहाड़ी जनजातियां घाटी में नहीं जा सके और मैतेई लोग पहाड़ी क्षेत्रों में न आ सके. दोनों समुदायों को अलग-अलग प्रशासित किया जाना चाहिए क्योंकि विभाजन बहुत व्यापक है. स्थायी व्यवस्था लाने के लिए दोनों के कब्जे वाली जमीन पर नई प्रशासनिक इकाइयां बनाई जानी चाहिए.