इटावा: फास्टट्रैक कोर्ट प्रथम की न्यायाधीश सुनीता शर्मा ने दहेज हत्या के एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए मृतका के पति को दोषी करार दिया और उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास व 4 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। वहीं, सास-ससुर को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया.
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता देवेंद्र कुमार तिवारी के अनुसार, अजीतमल (औरैया) निवासी कृष्ण बहादुर सिंह ने 14 अप्रैल 2017 को भरथना थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि उनकी पुत्री प्रियंका की शादी 16 जनवरी 2013 को भरथना थाना क्षेत्र के आलमपुर विबोली निवासी गजेंद्र सिंह से हुई थी। विवाह के बाद से ही गजेंद्र सिंह और उसके परिजन अतिरिक्त दहेज व मोटरसाइकिल की मांग को लेकर प्रियंका को प्रताड़ित करते थे.
13 अप्रैल 2017 को कृष्ण बहादुर को सूचना मिली कि उनकी बेटी बीमार है। जब परिजन ससुराल पहुंचे तो पता चला कि प्रियंका की मौत हो चुकी है और उसका शव जिला अस्पताल में है। आरोप है कि यह हत्या दहेज की मांग पूरी न होने पर की गई.
पीड़िता के पिता ने पति गजेंद्र सिंह, ससुर करन सिंह, सास शकुंतला देवी और ननदें रिंकी, गुड्डून व रंजना के खिलाफ दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस विवेचना के बाद पति, ससुर और सास के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई.
मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने पति गजेंद्र सिंह को दोषी मानते हुए 10 वर्ष की कठोर कैद और 4 हजार रुपये जुर्माने की सजा दी। वहीं, सास शकुंतला देवी और ससुर करन सिंह को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया.