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DRDO ने बनाई सबसे हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट, स्नाइपर की 6 गोलियां नहीं भेद सकीं

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने देश की सबसे हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट बनाई है. रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को इसकी जानकारी शेयर की.

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पॉलिमर बैकिंग और मोनोलिथिक सिरेमिक प्लेट से तैयार की गई जैकेट को 6 स्नाइपर गोलियां भी भेद नहीं सकीं. मंत्रालय ने कहा कि जैकेट का इन-कंजक्शन (ICW) और स्टैंडअलोन डिजाइन सैनिकों को 7.62×54 RAPI (BIS 17051 के लेवल 6) गोला-बारूद से सुरक्षा प्रदान करेगा.

जैकेट को कानपुर में मौजूद DRDO के रक्षा सामग्री और भंडार अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (DMSRDE) ने तैयार किया है. जैकेट की TBRL चंडीगढ़ में टेस्टिंग की गई.

रक्षा विभाग के अनुसंधान एवं विकास सचिव और DRDO अध्यक्ष ने हल्के बुलेटप्रूफ जैकेट को तैयार करने पर DMSRDE को बधाई दी है.

वही, भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा कि देश युद्ध में जाने से नहीं हिचकिचाएंगे. राष्ट्र की सुरक्षा को न तो आउट सोर्स किया जा सकता है और न ही दूसरों की उदारता पर निर्भर किया जा सकता है.

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि एर्गोनॉमिक तरीके से डिजाइन किया गया फ्रंट हार्ड आर्मर पैनल (HAP) पॉलिमर बैकिंग और मोनोलिथिक सिरेमिक प्लेट से बना है. ऑपरेशन के दौरान पहनने सैनिकों के लिए पहले से ज्यादा आरामदायक और सुरक्षित रहेगा.

मंत्रालय ने जानकारी दी है कि ICW हार्ड आर्मर पैनल (HAP) की एरियल डेंसिटी 40 kg/M2 और स्टैंडअलोन HAP की एरियल डेंसिटी 43kg/M2 से कम है.

वहीं, मंगलवार को भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे नई दिल्ली में ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA) के नौवें नेशनल लीडरशिप कॉन्क्लेव में पहुंचे थे. यहां उन्होंने डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता की अहमियत की चर्चा की.

जनरल पांडे ने कहा कि हाल-फिलहाल के घटित जियो-पॉलिटिकल (भू-राजनीतिक) घटनाक्रमों ने दर्शाया है कि जहां राष्ट्रीय हितों का सवाल है, देश युद्ध में जाने से नहीं हिचकिचाएंगे. सैन्य ताकत युद्ध को रोकने और उनका निवारण करने के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर हमले का मजबूती से जवाब देने और युद्ध जीतने के लिए जरूरी है.

उन्होंने कहा कि देश को हार्ड पावर पाने और उसे बनाए रखने की खोज में हमें डिफेंस की जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता को लेकर सचेत रहना जरूरी है.

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