कॉफी दुनिया भर में बहुत पसंद की जाने वाली एक ड्रिंक है. लोग इसे बहुत ही शौक से पीते हैं. दरअसल, इसमें कैफीन पाया जाता है, जो एनर्जी बूस्ट करती है. लेकिन जर्मनी में हुए एक नई रिसर्च में पता चला है कि कैफीन कुछ एंटीबायोटिक दवाओं के असर को प्रभावित कर सकती है. अब ये पढ़कर आप कॉफी छोड़ने का फैसला ना लें, लेकिन ये सोचने की बात जरूर है कि हमारी खाने-पीने की चीजें दवाओं पर कैसे असर डाल सकती हैं.
रिसर्च में क्या पाया गया?
जर्मनी के ट्यूबिंगन और वुर्जबर्ग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने देखा कि 94 अलग-अलग चीजें ई.कोलाई बैक्टीरिया पर कैसे असर डालती हैं. इस रिसर्च में उन्होंने खास तौर पर बैक्टीरिया के उन जीन और प्रोटीन पर ध्यान दिया जो छोटे-छोटे दरवाजों और पंप्स की तरह काम करते हैं. ये पंप ये कंट्रोल करते हैं कि बैक्टीरिया के अंदर क्या आता है और क्या बाहर जाता है. इसके अलावा, ये बैक्टीरिया की जिंदगी और एंटीबायोटिक्स के असर के लिए भी बहुत जरूरी है.
कैफीन एंटीबायोटिक्स के असर में कैसे रुकावट डालता है?
ई. कोलाई बैक्टीरिया आमतौर पर एमोक्सिसिलिन और सिप्रोफ्लोक्सासिन जैसे एंटीबायोटिक्स को OmpF नामक प्रोटीन ‘डोर’ के जरिए अंदर जाने देते हैं.। लेकिन कैफीन इन दरवाजों की संख्या कम कर देता है, जिससे एंटीबायोटिक्स का बैक्टीरिया में जाना मुश्किल हो जाता है.
बैक्टीरिया के कंट्रोल में बदलाव
कैफीन एक मॉलिक्यूल MicF को एक्टिवेट करता है, जो OmpF के बनने को रोकता है. ये असर केवल तब होता है जब बैक्टीरिया में Rob नामक एक अन्य रेगुलेटर प्रोटीन मौजूद हो. बिना Rob के, कैफीन का कोई असर नहीं पड़ता.
रिसर्चर एना रीटा ब्रोचाडो के अनुसार, ‘कैफीन Rob नामक जीन रेगुलेटर से शुरू होकर बैक्टीरिया के ट्रांसपोर्ट प्रोटीन में बदलाव तक के इवेंट्स की एक सीरीज को एक्टिवेट करता है, जिससे सिप्रोफ्लोक्सासिन जैसे एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया में बहुत ही कम मात्रा में पहुंच पाते हैं.’
लैब टेस्ट्स से क्या पता चला?
लैब टेस्ट में ये पाया गया कि कैफीन के संपर्क में आने वाले बैक्टीरिया को कंट्रोल करने के लिए ज्यादा मात्रा में एंटीबायोटिक्स की जरूरत पड़ती है. उदाहरण के लिए, एमोक्सिसिलिन को असर दिखाने के लिए लगभग 40% ज्यादा मजबूत होना पड़ा. सिप्रोफ्लोक्सासिन के साथ भी ऐसा ही असर देखा गया. इसका मतलब है कि कैफीन कुछ एंटीबायोटिक दवाओं की प्रभावशीलता को बैक्टीरिया में कम कर सकता है.
रिसर्च की लिमिटेशंस
इस स्टडी में कुछ बातें ऐसी हैं जिन पर गौर करना बहुत जरूरी है. स्टडी में देखा गया कि ये असर केवल ई. कोलाई बैक्टीरिया में देखा गया, सभी बैक्टीरिया में नहीं. इसके साथ ही ये स्टडी सिर्फ लैब में की गई थी इंसानों पर नहीं. इसलिए अभी तक ये साफ नहीं है कि कॉफी या कैफीन लोगों में भी एंटीबायोटिक्स को इसी तरह प्रभावित करती है या नहीं.