रायपुर में ड्रग्स डिलीवरी का भंडाफोड़: दिल्ली से आए 3 डीलर और लेडी पैडलर गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ की रायपुर पुलिस ने ड्रग्स तस्करी के एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। ये तस्कर अफगानिस्तान, पाकिस्तान, पंजाब और दिल्ली से ड्रग्स लाकर रायपुर में बेचते थे। पुलिस ने हर्ष आहूजा, मोनू विश्नोई और दीप धनोरिया समेत 3 डीलर्स को गिरफ्तार किया है।

SSP लाल उम्मेद सिंह ने बताया कि गंज पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से एक कार, 5 मोबाइल, 85,300 रुपए नकद और 27.58 ग्राम MDMA जब्त किया है। जब्त MDMA की कीमत करीब 2 लाख रुपए आंकी गई है। आरोपी दिल्ली से रायपुर में ड्रग्स बेचने आए थे। वहीं हेरोइन के साथ एक महिला को भी पुलिस ने अरेस्ट किया है।

वहीं ड्रग्स तस्करी और नशे के कारोबार पर कांग्रेस ने कहा कि केंद्र सरकार सीमा पार से होने वाली नशीली वस्तुओं की तस्करी रोकने में नकारा साबित हो गई है। अडाणी के मुद्रा पोर्ट में हजारों करोड़ों रुपए का ड्रग्स पकड़ा गया, लेकिन किसी भी प्रकार से कानूनी कार्रवाई नहीं की गई।

कांग्रेस ने कहा कि सीमा पार से आतंकवादी विदेशी हथियार, नशीली वस्तुएं, घुसपैठ हो रहा है, इसकी जिम्मेदारी किसके ऊपर है। केंद्र सरकार की नाकामी के चलते देशभर में नशे का कारोबार फल-फूल रहा है, छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नहीं है।

आरोपियों से पूछताछ जारी, बड़े चेहरे हो सकते हैं बेनकाब

SSP लाल उम्मेद सिंह ने बताया कि तस्करों के पास से ड्रग्स के अलावा गाड़ी भी बरामद की गई है। आरोपी रायपुर में ड्रग्स कब से बेच रहे थे, ये ड्रग्स कहां का है, किस सिंडिकेट से आरोपी जुड़े हैं, इन सब सवालों का जवाब अफसर तलाश रहे हैं।

वहीं जांच अधिकारियों का कहना है कि आरोपियों के सिंडिकेट में कुछ सफेदपोश लोगों के शामिल होने की जानकारी मिली है। जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। महीनेभर में ड्रग्स बेचने के मामले में 30 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों से पुलिस ने करोड़ों का ड्रग्स बरामद किया है।

रायपुर में महिला पैडलर भी अरेस्ट

इसके साथ ही रायपुर के कबीर नगर पुलिस ने हेरोइन (चिट्टा) सप्लाई नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। पहले की कार्रवाई में पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 273.19 ग्राम हेरोइन, एक दोपहिया वाहन और मोबाइल फोन जब्त किए थे, जिनकी कुल कीमत लगभग 57 लाख रुपए आंकी गई थी।

गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने एक महिला पैडलर हरप्रीत कौर उर्फ हैप्पी को गिरफ्तार किया। हरप्रीत, फरार आरोपी रूपिंदर उर्फ पिंदर के मकान में किराए पर रह रही थी। उसके साथ मिलकर नशे की बिक्री करती थी। साथ ही वह नशे का सौदा विजय मोटवानी नामक व्यक्ति को भी उपलब्ध कराती थी।

पुलिस ने महिला आरोपी हरप्रीत कौर के कब्जे से 9.5 ग्राम हेरोइन, एक बर्गमेन स्कूटर (CG 04 PN 2942) और एक मोबाइल फोन जब्त किया है, जिनकी कीमत करीब 2 लाख रुपए बताई जा रही है। आरोपी के खिलाफ नारकोटिक एक्ट और अन्य धाराओं में अपराध दर्ज कर न्यायिक कार्रवाई की जा रही है।

छत्तीसगढ़ में पाकिस्तान से ड्रग्स कैसे पहुंच रहा

वहीं प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सरकार दावा करती है कि उसने राज्य में पाकिस्तान से आने वाले ड्रग्स की सप्लाई चैन को तोड़ दिया है। देश में 11 साल से मोदी की सरकार है। राज्य में पौने दो साल से भाजपा की सरकार है।

भाजपा बताए कि देश की सीमा से पार होकर भारत के मध्य में स्थित छत्तीसगढ़ में ड्रग्स कैसे पहुंच रहा था? केंद्र सरकार सीमा को सुरक्षित नहीं रख पा रही है, तभी तो स्मगलर सीमा पार से ड्रग्स छत्तीसगढ़ पहुंचा रहे थे। सरकार बताए सीमा पार से आने वाला ड्रग्स छत्तीसगढ़ की सीमा में कैसे पहुंच रहा था।

प्रदेश में आपराधिक घटनाएं भी बढ़ रही

सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा सरकार के 18 महीने के कार्यकाल में नशीली दवाएं, अफीम, गांजा, हीरोइन, नकली शराब, अवैध शराब बिना किसी रोक-टोक के गली-मोहल्ले में बिक रही हैं। हर चौक-चौराहे पर नशीली दवाएं बेचने वालों का गिरोह है, जिसके कारण प्रदेश में आपराधिक घटनाएं भी बढ़ रही हैं।

प्रदेश में नशेड़ियों का जमावड़ा है। जिस तरह से सूर्यास्त के बाद नशाखोरी हो रही है। हर वर्ग नशे की ओर आकर्षित हो रहा है। इसकी जिम्मेदारी भाजपा सरकार की है। यह सरकार की विफलता है। यह बेहद चिंता का विषय है, सरकार को इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।

रायपुर में क्या-क्या बिक रहा?

रायपुर पुलिस 2025 से अब तक नशा बेचने वाले 550 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। ये आरोपी रायपुर में गांजा, एमडीएमए, एलएसडी, ओजी (विदेशी गांजा), हेरोइन, नशे की गोलियां, अफीम, कफ सिरप बेचते और उसे लाते हुए पकड़े गए।

इन आरोपियों से पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि ये आरोपी ओडिशा से गांजा और महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब-हरियाणा से ड्रग्स लाते और उन्हें रायपुर समेत कई जिलों में बेचते हैं। छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे राज्यों में यह आरोपी नशीली सामग्री पहुंचाते हैं।

इसके साथ ही रायपुर के होटलों, पब और फॉर्म हाउस में आयोजित प्राइवेट पार्टियों में ड्रग्स को कोडवर्ड के सहारे बेचा जा रहा है। ये सब बातें पुलिस की जांच में पहले भी सामने आ चुकी हैं।

राजधानी में बढ़ी ड्रग्स की खपत

जानकारों के अनुसार, रायपुर में क्लब और नाइट पार्टियों के कल्चर के चलते ड्रग्स की खपत बढ़ी है। अलग-अलग सिंडिकेट के सदस्य इलाके बांटकर इस काम को अंजाम दे रहे थे। पुलिस के हत्थे रायपुर में सक्रिय दो गिरोह चढ़ चुके हैं। इन गिरोह के 30 से ज्यादा आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा है।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार इन गिरोह के सदस्यों के अकाउंट में करोड़ों का ट्रांजेक्शन मिला है। यह पैसा रायपुर जिले के अलग-अलग इलाकों से ट्रांसफर हुआ है। जिन लोगों ने आरोपियों के अकाउंट में पैसा जमा किया है, उनकी जानकारी पुलिस जुटा रही है।

अब विस्तार से जानिए ड्रग्स नेटवर्क की पूरी कहानी…

दरअसल, इंटरनेशनल ड्रग्स नेटवर्क की कमान पंजाब के गुरदासपुर निवासी लवजीत सिंह उर्फ बंटी के हाथ में थी। शुरुआती इनपुट के अनुसार, लवजीत पाकिस्तान के तस्करों से सीमा पार से ड्रग्स मंगवाता था।माल अवैध तरीके से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करवाया जाता था।

इंटरनेशनल बॉर्डर से पंजाब के सीमावर्ती जिलों में ड्रग्स को छिपाया जाता था। पंजाब में ही लवजीत का प्रमुख बेस था, यहीं से वह ड्रग्स की ‘थोक सप्लाई’ भारत के अन्य राज्यों में करता था। इसमें से एक छत्तीसगढ़ का नाम भी है।

कम्युनिकेशन के लिए वर्चुअल नेटवर्क, विदेशी नंबर, नेट कॉलिंग और वीडियो शेयरिंग

जांच एजेंसियों को चकमा देने के लिए आरोपी नेट कॉलिंग का इस्तेमाल करते थे, जिसमें अंतरराष्ट्रीय वर्चुअल नंबर उपयोग किए जाते। वॉट्सऐप, टेलीग्राम जैसे ऐप्स पर वीडियो कॉल, लाइव लोकेशन और फोटो शेयर कर ग्राहकों को सामान की डिलीवरी कन्फर्म की जाती थी।

इससे न केवल एजेंसियों की निगरानी से बचा जाता, बल्कि पहचान छिपाकर तेजी से नेटवर्क बढ़ाया जा रहा था। भारत के अलग-अलग राज्यों में भी सप्लाई की बात सामने आ रही है।

इंटरनेशनल ड्रग्स तस्करी केस में पुलिस ने इन आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

रायपुर में ‘सप्लाई हब’, कमल विहार था ठिकाना

पंजाब से आने के बाद हेरोइन को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कमल विहार सेक्टर-4 स्थित एक फ्लैट में स्टोर किया जाता था। इस घर का मालिक और स्थानीय सरगना सुवित श्रीवास्तव था, जो न केवल लवजीत से माल रिसीव करता था, बल्कि आगे सप्लाई के लिए स्थानीय नेटवर्क तैयार कर चुका था।

यह स्पॉट इस नेटवर्क का मेन लॉजिस्टिक हब बन गया था, जहां माल पहुंचने के बाद छिपाकर अलग-अलग थोक डीलरों और पेडलर्स तक भेजा जाता था। इसके लिए यहां हर किसी का काम फिक्स था, किसे कौन सा काम करना है।

ट्रांजेक्शन सिस्टम, म्यूल एकाउंट्स और कैश फ्लो का ट्रैप

पुलिस के मुताबिक पैसों के लेन-देन के लिए गिरोह ने म्यूल एकाउंट्स बनाए थे। ऐसे बैंक अकाउंट जिनका उपयोग केवल ट्रांजेक्शन के लिए किया जाता है। शुरुआती जांच में करोड़ों रुपए के लेन-देन के डिजिटल सबूत मिले हैं।

इसके साथ ही क्रिप्टोकरेंसी, UPI और नकद माध्यमों से भी भुगतान होने की भी बात कही जा रही है। इन खातों का संचालन रायपुर से बाहर बैठे सदस्य कर रहे थे, ताकि ट्रैकिंग मुश्किल हो जाए। इससे नशे का कारोबार चलता रहे और आरोपी पकड़े न जाएं।

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