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ढोल-नगाड़े, हाथ में तलवार-बंदूक… जंग पर नहीं खेत पर जा रहे ये किसान

उत्तर प्रदेश के बिजनौर में किसान खेतों पर ढोल नगाडों के साथ जा रहे हैं. कुछ किसान बंदूकों, राईफलों, तलवारें और बरछी से लैस हो कर अपने खेतों पर जाने को मजबूर हैं. मानो खेती करने नहीं बल्कि कहीं जंग लड़ने जा रहे हों. दरअसल गन्ना बाहुल्य बिजनौर जिले में गुलदारों का आतंक पसरा हुआ है. पिछले करीब डेढ साल में गुलदारो ने डेढ़ सौ से ज्यादा किसानों पर हमला किया है. इन हमलों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. गांव में आलम ये है कि अब खेती करने के लिए मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं. मजदूर भी उन्हीं किसानों के साथ खेतों पर जा रहे हैं जो कि लाइसेंसी बंदूक रखकर मजदूरों के साथ खेतों पर जा रहे हैं.

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खासतौर पर ये सब गन्ने की खेती के वक्त अहतियात बरतने पड़ रहे हैं. खेतों में गन्ना बोने से लेकर खाद लगाते समय और गन्ना कटाई के समय ढोल नगाड़े बजाए जाते हैं. हल्ला-गुल्ला और शोर मचाया जाता है. जिससे कि खेत में यदि कहीं गुलदार या कोई अन्य जंगली जीव हो तो ढोल नगाडे शोर शराबे की आवाज सुनकर खेत से बाहर भाग जाए. उसके बाद मजदूर अपने काम पर लग जाते हैं. इस दौरान खेत का मालिक राइफल या बंदूक अथवा फरसा, बरछी-भाले के साथ खेत पर ही पहरा देता है.

नहीं मिल रहे मजदूर

किसानों का कहना है कि गुलदारों की वजह से अब खेती महंगी होती जा रही है. खेतों में काम करने वाले मजदूरों की लगातार कमी हो रही है, इसके साथ ही हर समय गुलदार के हमले का डर बना रहता है. बिजनौर वन विभाग के डीएफओ ज्ञान सिंह के अनुसार बिजनौर जनपद तीन ओर से जंगलो से घिरा है. वनक्षेत्र काफी मात्रा में होने के कारण जंगली वन्यजीव गांवो में आ जाते हैं और गन्ने के खेतों में रहने लगते हैं.

पकड़ने लगे हैं पिंजरे

जंगली जानवरों को गन्ने के खेतों में पर्याप्त भोजन और पानी मिल जाता है जिसकी वजह से जानवर यहां पर स्थायी डेरा जमा लेते हैं. मादा गुलदार साल में दो बार तीन से पांच बच्चे तक देती है. इसीलिए इनकी संख्या में तेजी से वृद्धि होती जाती है. वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार बिजनौर के खेतों में पांच सौ से ज्यादा गुलदार रह रहे है.

बिजनौर में वन विभाग ने सौ गांवों को गुलदार बाहुल्य क्षेत्र घोषित कर रखा है. 110 जगहों पर गुलदारों को पकडने के लिये पिंजरे भी लगा रखे हैं. जिनमें अब तक सौ गुलदार फंस भी चुके है. जिन्हे गोरखपुर, लखनऊ, दिल्ली के चिड़ियाघरों के साथ-साथ जंगलों में छोड़ा जा चुका है. वन विभाग ने गुलदार बाहुल्य गांवों में पेट्रोलिंग के लिए स्पेशल टास्क फोर्स की तैनाती भी कर रखी है.इसके साथ ही ग्रामीणो के लिये एडवाइजरी भी जा रही है.

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