साइबर ठग रुपये ऐंठने के साथ अब ऐसी चालबाजी कर रहे हैं, जिसमें पीड़ित खुद ही ठगी की चेन में फंसकर कानूनी परेशानियों का शिकार हो रहे हैं। ठग निवेश, ऑनलाइन नौकरी, रिवार्ड या मुनाफे के नाम पर पहले पीड़ितों के खाते में कुछ राशि भेजते हैं।
इससे पीड़ितों का विश्वास जीत लेते हैं, लेकिन असल में यही शुरुआती लेन-देन बाद में उनके लिए मुसीबत बन जाता है, क्योंकि ठगी होने के बाद पीड़ित जब पुलिस से शिकायत करते हैं तो पुलिस बैंक खातों की चेन में जाकर जांच करती है और उसमें पीड़ितों के खाते भी फ्रीज हो जाते हैं।
पुलिस बोली- जांच के बाद अनफ्रीज कर देते हैं
भोपाल के साइबर सेल में आए दिन इसकी शिकायतें पहुंच रही हैं। हालांकि, पुलिस का कहना है कि जांच के बाद पीड़ितों के खातों को अनफ्रीज करवा दिया जाता है। पुलिस के अनुसार साइबर ठगी का यह प्रकार भी लंबे समय से चले आ रहे निवेश या वर्कफ्राम होम नौकरी का झांसा देकर मोडस आपरेंडी के तहत ही किया जाता है, जिसमें ठग सोशल मीडिया के जरिए निवेश में भारी मुनाफा या वर्कफ्राम होम नौकरी की पेशकश करते हैं।
लेकिन इस बार वे विश्वास जीतने के लिए पहले कुछ रुपये लोगों के खाते में भेजते हैं, फिर आपसे रजिस्ट्रेशन या निवेश में अधिक रुपये जमा करवाते हैं। इस तरह ठग के खाते से पीड़ित के बैंक खाते में राशि जाने पर एक ही लिंक से जुड़ जाते हैं।
इस तरह लोगों को ठगा
पीड़ित मयंक शर्मा ने बताया कि मार्च 2025 में नौकरी के नाम पर उनसे आठ हजार रुपये की साइबर ठगी हुई थी। ठगी से पहले आरोपित ने डेमो वर्क के लिए उन्हें कुछ पेमेंट किया था, जिससे उन्होंने 1930 पर शिकायत की तो कुछ समय बाद उनका खाता भी फ्रीज हो गया था।
एक अन्य पीड़ित रौनक राठौर के अनुसार निवेश के लिए उन्होंने साइबर ठगों के ट्रेडिंग एप का उपयोग किया था, जिसमें उनके साथ ठगी हुई थी। इसके पहले वे ठग से ऑनलाइन लेनदेन कर चुके थे, जिससे की बैंक खाता फ्रीज हो गया है।